रानीवाड़ा! समस्याओं के समाधान को लेकर नर्सिंग कर्मचारियों की बैठक १ जून को कस्बे के हठीला हनुमान मंदिर में होगी। नर्सिंग एसोसिएशन के तहसील अध्यक्ष कांतिलाल जीनगर ने बताया कि सही समय पर वेतन नहीं मिलने, ९, १८ व २७ का वेतनमान लंबित होने, एरियर व डीए को लेकर हो रही समस्याओं पर चर्चा होगी।
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Friday, 28 May 2010
जलापूर्ति का समय कम होने से परेशानी
रानीवाड़ा! कस्बे समेत आस पास के गांवों में पानी की आपूर्ति का समय कम होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कम समय के लिए पानी की आपूर्ति के चलते लोगों को पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि फिलहाल महज 10 से 15 मिनट पानी की आपूर्ति की जा रही है। आपूर्ति का समय कम होने के साथ साथ प्रेशर कम रहने से लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पाता है। उपभोक्ताओं ने बताया कि विभाग द्वारा जलापूर्ति वितरण में भेदभाव किया जाता है। जलदाय विभाग द्वारा की जा रही जलापूर्ति फिलहाल पर्याप्त साबित नहीं हो रही है। ऐसे में लोगों को अपने स्तर पर टैंकरों से पानी की आपूर्ति करवाने को मजबूर
होना पड़ रहा है।
तकनीकी दक्ष मेट का होगा चयन
रानीवाड़ा
महानरेगा योजना में श्रमिकों को समुचित सलाह व मार्गदर्शन के लिए सरकार ने अब तकनीकी दक्ष मेट लगाने की पहल की है। प्रशिक्षित मेट नरेगा कार्यों पर रोजाना माप लेकर कनिष्ठ अभियंता को देगा। इससे श्रमिकों की मजदूरी का भुगतान सही समय पर हो सकेगा। महानरेगा मेट को विशेष पहचान कार्ड दिया जाएगा और उन्हें कार्य के आधार पर रेटिंग दी जाएगी। प्रत्येक ग्राम पंचायत में तैयार किए गए मेट पैनल से 12वीं पास अथवा इससे अधिक योग्यता वाले दो मेटों को निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार चयन कर एक माह का सैद्धांतिक व गहन प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा। तकनीकी दक्ष मेट के
रूप में प्रशिक्षित कर इन्हें प्रत्येक ग्राम पंचायत में कनिष्ठ अभियंता के कार्यक्षेत्र में वैकल्पिक माप कार्मिक के रूप में रखा जाएगा। शेष&पेज १9
पात्र उम्मीदवारों के पारदर्शितापूर्ण चयन तथा प्रशिक्षण के लिए जिला परिषद के अधिशासी अभियंता को नोडल अधिकारी बनाया गया है। प्रथम चरण में प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम दो व्यक्तियों को 30 सितंबर से पूर्व प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे न केवल कार्य की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि पखवाड़ा समाप्त होने के तीन दिन के भीतर श्रमिकों को भुगतान किया जा सकेगा।
रूप में प्रशिक्षित कर इन्हें प्रत्येक ग्राम पंचायत में कनिष्ठ अभियंता के कार्यक्षेत्र में वैकल्पिक माप कार्मिक के रूप में रखा जाएगा। शेष&पेज १9
पात्र उम्मीदवारों के पारदर्शितापूर्ण चयन तथा प्रशिक्षण के लिए जिला परिषद के अधिशासी अभियंता को नोडल अधिकारी बनाया गया है। प्रथम चरण में प्रत्येक ग्राम पंचायत के लिए न्यूनतम दो व्यक्तियों को 30 सितंबर से पूर्व प्रशिक्षित किया जाएगा। इससे न केवल कार्य की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि पखवाड़ा समाप्त होने के तीन दिन के भीतर श्रमिकों को भुगतान किया जा सकेगा।
Monday, 24 May 2010
आग से घरेलू सामान जला
रानीवाड़ा !निकटवर्ती मेड़ककलां की एक ढाणी में आग लगने से काफी नुकसान होने की जानकारी मिली है। पूर्व सरपंच लखमाराम चौधरी ने बताया कि रणछोड़ाराम पुत्र धीराजी कुम्हार की ढाणी पर रविवार दोपहर दो बजे अज्ञात कारणों से आग लग गई, जिससे मकान में रखा हुआ राशनकार्ड, जॉब कार्ड समेत घरेलू सामान जलकर नष्ट हो गया। पड़ौस की ढाणियों लोगों के सहयोग से आग पर काबू पाया जा सका। घटना की जानकारी मिलने पर पटवारी चंदनसिंह राठौड ने मौके पर पहुंचे तथा घटना की रिपोर्ट बनाकर तहसीलदार को प्रेषित की।
विकास कार्यों को लेकर बैठक आज
रानीवाड़ा ! नरेगा एवं पंचायतीराज योजनाओं के तहत चल रहे विभिन्न विकास कार्यों की समीक्षा बैठक 24 मई को पंचायत समिति सभा भवन में रखी गई है। विकास अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा ने ग्रामसेवक एवं रोजगार सहायकों को अमृतादेवी योजना के तहत वर्ष २००९-१० में एकल महिला जिन्होंने 100 दिवस रोजगार पूर्ण करने वाले परिवारों की सूची, सूचना दीवारों पर लिखवाने, भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केंद्रों की प्रगति रिपोर्ट, एमआईएस की श्रम व सामग्री की अंतर राशि, नरेगा प्रगति की समीक्षा, हरीत राजस्थान कार्यक्रम 2010-११, ई-मस्टररोल, विभिन्न शिकायतों की जांच, उपयोगिता प्रमाण पत्र, सामाजिक अंकेक्षण, बीपीएल व स्टेट बीपीएल कार्ड की प्रगति रिपोर्ट साथ में लेकर उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया है
Sunday, 23 May 2010
पपीतों से कमाए बीस लाख
रानीवाड़ा
सुणतर क्षेत्र के एक युवा किसान ने दो हैक्टेयर जमीन में विदेशी पपीते का नव प्रयोग कर बीस लाख रुपए की आय की है। क्षेत्र के किसानों के लिए यह अच्छा संकेत है।
जानकारी के अनुसार रमेशकुमार चौधरी वैसे तो सरकारी शारीरिक शिक्षक हंै, लेकिन खेती में नए प्रयोग करते रहते हैं। इस युवक ने सुकल नदी के किनारे भाटवास गांव में एक कृषि कुंए पर दो हैक्टयर भूमि में ताईवानी पपीते लगाने का प्रयोग किया। गत वर्ष मई महीने में रमेशकुमार ने पांच हजार पौधे तैयार किए। इस वर्ष उन पौधों पर पपीते की पैदावार से उसने बीस लाख रुपए की आमदनी कर ली है। चौधरी ने बताया कि उनके इस प्रयोग में कृषि विभाग के अधिकारी कन्हैयालाल विश्नोई ने पूरा सहयोग दिया। शेष & पेज १७
विभाग की बदौलत ही यह उपलब्धि हासिल हो पाई है।
उन्होंने बताया कि वे गत तीन माह से लगातार पपीतों को जयपुर, दिल्ली, जालंधर और जम्मू सहित देश के अन्य भागों में विभिन्न ऐजेंसियों के मार्फत बिक्री के लिए भेज रहे हैं। उत्तम गुणवत्ता व स्वाद से भरपूर ये पपीते इन शहरों में खूब खरीदे जा रहे हैं। इस एक पपीते में पांच से छह किलो तक का वजन होता है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम के चलते पपीते की पैदावार काफी प्रभावित हो रही है, परंतु नमी बरकरार रखने के लिए उन्होंने रैनगेज लगवाकर कृत्रिम बरसात करने का प्रयास किया है। इस फसल में उन्हें चार लाख रुपए लगाए हैं तथा अनुभवी किसानों के सहयोग से फसल लेने में सफलता प्राप्त की है। चौधरी के सफल प्रयोग के चलते सुणतर क्षेत्र के धानोल, धामसीन, रोड़ा, सूरजवाड़ा, जेतपुरा, बडग़ांव, अमरापुरा, भाटवास, अदेपुरा, आजोदर सहित कई गांवों के किसान कृषि विभाग से संपर्क कर रहे हैं। विशेषतया लघु सीमांत किसानों के लिए यह फसल वरदान साबित हो सकती है।
इनका कहना
चौधरी की मेहनत व अनुभव से ही यह मिशन सफल हो पाया है। किसानों को इसका लाभ मिलेगा जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे।
- कन्हैयालाल विश्नोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा
सुणतर क्षेत्र के एक युवा किसान ने दो हैक्टेयर जमीन में विदेशी पपीते का नव प्रयोग कर बीस लाख रुपए की आय की है। क्षेत्र के किसानों के लिए यह अच्छा संकेत है।
जानकारी के अनुसार रमेशकुमार चौधरी वैसे तो सरकारी शारीरिक शिक्षक हंै, लेकिन खेती में नए प्रयोग करते रहते हैं। इस युवक ने सुकल नदी के किनारे भाटवास गांव में एक कृषि कुंए पर दो हैक्टयर भूमि में ताईवानी पपीते लगाने का प्रयोग किया। गत वर्ष मई महीने में रमेशकुमार ने पांच हजार पौधे तैयार किए। इस वर्ष उन पौधों पर पपीते की पैदावार से उसने बीस लाख रुपए की आमदनी कर ली है। चौधरी ने बताया कि उनके इस प्रयोग में कृषि विभाग के अधिकारी कन्हैयालाल विश्नोई ने पूरा सहयोग दिया। शेष & पेज १७
विभाग की बदौलत ही यह उपलब्धि हासिल हो पाई है।
उन्होंने बताया कि वे गत तीन माह से लगातार पपीतों को जयपुर, दिल्ली, जालंधर और जम्मू सहित देश के अन्य भागों में विभिन्न ऐजेंसियों के मार्फत बिक्री के लिए भेज रहे हैं। उत्तम गुणवत्ता व स्वाद से भरपूर ये पपीते इन शहरों में खूब खरीदे जा रहे हैं। इस एक पपीते में पांच से छह किलो तक का वजन होता है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम के चलते पपीते की पैदावार काफी प्रभावित हो रही है, परंतु नमी बरकरार रखने के लिए उन्होंने रैनगेज लगवाकर कृत्रिम बरसात करने का प्रयास किया है। इस फसल में उन्हें चार लाख रुपए लगाए हैं तथा अनुभवी किसानों के सहयोग से फसल लेने में सफलता प्राप्त की है। चौधरी के सफल प्रयोग के चलते सुणतर क्षेत्र के धानोल, धामसीन, रोड़ा, सूरजवाड़ा, जेतपुरा, बडग़ांव, अमरापुरा, भाटवास, अदेपुरा, आजोदर सहित कई गांवों के किसान कृषि विभाग से संपर्क कर रहे हैं। विशेषतया लघु सीमांत किसानों के लिए यह फसल वरदान साबित हो सकती है।
इनका कहना
चौधरी की मेहनत व अनुभव से ही यह मिशन सफल हो पाया है। किसानों को इसका लाभ मिलेगा जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे।
- कन्हैयालाल विश्नोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा