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Friday 25 December 2009

बजट नहीं होने से अटका आवासीय विद्यालय भवन

रानीवाड़ा
बिना भवन के ही क्षेत्र में कस्तुरबा आवासीय विद्यालय आरंभ कर देना ना केवल छात्राओं के लिए परेशानी भरा साबित हो रहा है बल्कि भवन के अभाव में विद्यालय की कीमती सामग्री कबाड़ में तब्दील हो रही है। वैसे तो इस आवासीय विद्यालय का अपना भवन होता है, लेकिन अभी तक इसका निर्माण नहीं होने के कारण यह विद्यालय किराए के भवन में संचालित किया जा रहा है। केंद्र संचालिका के अनुसार भवन किराए का होने के कारण काफी सामग्री आसमान के नीचे पड़ी है। इस सामग्री का रख-रखाव सर्वशिक्षा अभियान के पास है। जानकारी के मुताबिक यह केजीबी जालेराकलां के नाम से स्वीकृत है। जालेराकलां में भवन निर्माणाधीन होने के कारण इसे रानीवाड़ा कस्बे में संचालित किया जा रहा है।

९० से अधिक छात्राएं : इस केंद्र में ९० से ज्यादा बालिकाएं ६ से ८ तक की कक्षाओं में अध्ययन कर रही हैं। केंद्र में सर्दी के मौसम के चलते बालिकाओं के रहने के लिए पर्याप्त कमरे भी नहीं है। जिससे उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यही हाल विद्यालय की सामग्री का है। बालिकाओं को सिलाई शिक्षा प्रदान करने के लिए दी गई मशीनें धूल फांक रही है। यही हालत लोहे के पलंग, कंप्यूटर, सौर उर्जा की प्लेट, रजाई-बिस्तर की भी है।

कंप्यूटर व सौर उर्जा प्लांट भी खराब : भवन के अभाव और सामग्री की देखभाल के प्रति लापरवाही के कारण विद्यालय को कीमती सामान भी खराब हो रहा है। लंबे समय से इनवर्टर खराब पड़े हैं एवं कंप्यूटर भी बदहाल है। सर्दी के मौसम में पानी गर्म करने के लिए व रोशनी व्यवस्था के लिए सौर उर्जा का प्रोजेक्ट धूल फांक रहा है।



निर्माणाधीन भवन के लिए मांगा है बजट

ञ्चकेजीबी की व्यवस्था के लिए सीआरसीएफ जालाराम मेघवाल को नियुक्त किया हुआ है। फिलहाल यह केंद्र एसडीएमसी जालेराकलां संचालित कर रहा है। निर्माणाधीन भवन के लिए बजट की मांग विभाग को भेजी गई है। राशि आने पर भवन को शीघ्र ही पूरा किया जाएगा।

तेजाराम विश्नोई, बीआरसीएफ, रानीवाड़ा

मेघवाल का किया स्वागत

रानीवाड़ा! मेघवाल समाज के मेधावी युवा पृथ्वीपालसिंह मेघवाल का डीआरडीओ में वैज्ञानिक पद पर चयन होने के बाद प्रथम बार रानीवाड़ा पहुंचने पर मेघवाल युवा अंबेडकर संघ की ओर से भव्य स्वागत किया गया। कस्बे के सांचौर सड़क मार्ग पर संघ के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने ढोल ढमाकों के बीच साफा व माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष कृष्ण रांगी, कृष्ण चौहान, महेंद्र परिहार, सवदाराम, जेठाराम, सोमाराम, गौतमकुमार, रमेशकुमार, मंछाराम, सावलांराम, नानजीराम, ईश्वरकुमार, अमृत कटारिया, जानू मेघवाल सहित कई लोगों ने भाग लिया।

Thursday 24 December 2009

जीरे पर ग्लोबल वार्मिंग का असर

गुमानसिंह राव रानीवाड़ा
सुणतर क्षेत्र में इस बार मानसून की रुसवाई व तापमान में आ रहे उतार चढ़ाव के कारण 25 प्रतिशत कृषि भूमि पर ही रबी की फसल बोई जा सकी। जानकारी के अनुसार इस बार ३२०० हैक्टेयर भूमि पर ही जीरे की फसल की बुवाई की गई है। जबकि गत वर्ष ४२०० हैक्टेयर भूमि पर बुवाई की गई थी।

क्षेत्र के खेतों में ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव देखने को मिल रहा है। तापमान में लगातार आ रहे उतार चढ़ाव के कारण फसलें अभी पूरी तरह से पक नहीं पा रही हंै। कृषि अधिकारियों का कहना है कि जब तक तापमान और अधिक नीचे नहीं आ जाता है तब तक फसलों को सुरक्षित रख पाना मुश्किल है। क्षेत्र के गांवों में अगर मौसम के तेवर यही रहे तो गेहूं, जौ, सरसों व जीरे की फसल को भारी नुकसान पहुंच सकता है। रबी की फसल नवंबर के अंत तक पूरे यौवन पर आ जाती है, लेकिन लगातार तापमान में आ रहे उतार-चढ़ाव के कारण खेतों में फसलें अभी भी पक नहीं पाई हैं। कृषि अधिकारियों का मानना है कि तापमान में जितनी गिरावट आएगी उतना ही फसलों को लाभ मिलेगा। इधर, जिले का अधिकांश किसान जीरे पर ही निर्भर है। ऐसे में उसकी आश भी जीरे को लेकर ही है। क्या है इस समय जीरे का हाल और क्या चल रहे हैं भाव। अभी और कैसे बचाया जा सकता है जीरे को पेश है एक रिपोर्ट।
ऊंझामंड़ी का रूझान
जीरे की अंतर्राष्ट्रीय ऊंझा मंडी के प्रसिद्ध एक्सपोर्टर बाबुभाई शाह के अनुसार भारत में इस समय अग्रिम स्टॉक करीब 7 लाख बोरियों का है। वर्तमान में बाजार बहुत उतार-चढ़ाव वाला है। कीमतें स्थिर नहीं हैं और कारोबारी पुराने स्टॉक पर मुनाफा वसूली में लगे हुए हैं। ऊंझा में बेहतरीन क्वालिटी के 20 किलोग्राम जीरे का मूल्य 2,100-2,150 रुपये पहुंच गया है, जबकि खराब क्वालिटी के जीरे की कीमत 1,800 से 1,850 रुपये है। ज्यादातर जीरा कारोबारियों का मानना है कि मध्य फरवरी के बाद ही स्थितियां और ज्यादा स्पष्ट हो पाएगी। जब नई फसल बाजार में आ जाएगी।
उन्नत किस्म
आर एस 1, एस 404, आर जेड 19, एम् सी 43, एम् यू सी, यू सी 198, एन पी डी 1, एन पी जे 126, सेलेक्शन 7-3, गुजरात जीरा 3 आदि।
जलवायु
जीरा ठंडे मौसम की फसल है, वानस्पतिक वृद्धि के लिए ठंडे मौसम परन्तु फूल आने और बीज पकने के समय उच्च तापमान और लम्बी प्रकाश अवधि वाले दिन उत्तम रहते हैं।
बीज की मात्रा
बीज का जीरा उत्पादन में विशेष महत्व है, इसकी अधिक उपज लेने के लिए बीज की पर्याप्त मात्रा बोनी चाहिए, आमतौर पर 20 किलो बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है।
जीरे के प्रमुख रोग एवं नियंत्रण
जीरे की फसल में मुख्यत: झुलसा रोग जिसमे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और पौधा सूखने लगता है, अंगमारी जिसमे पौधा मुरझा जाता है, उसपर सफेद धब्बे आ जाते है और टहनियां नीचे की ओरे झुक जाती है, चूर्णी फफूंद जिसमे पौधे में सफेद चूर्ण सा लग जाता है प्रभावित करती हैं। इनकी रोकथाम के लिए 250 मिली लीटर नीम पानी, 25 मिली लीटर माइक्रो झिम प्रति पम्प मिलाकर अच्छी तरह से तर बतर कर छिड़काव करें इसके अलावा सुपर गोल्ड मैग्नीशियम 1 किलोग्राम प्रति एकड़ पानी में घोल कर छिडकाव करें। नीम पानी बनाने के लिए 25 किलो नीम की ताजी पत्तियों को 50 लीटर पानी में पकाए जब वह 20-25 लीटर रह जाए तब छानकर उपयोग करना चाहिए।
किसान अपनाएं फव्वारा पद्धति
ञ्चतापमान में गिरावट आती है तो ही फसल को फायदा होगा। अगर ठंड में कमी आती है तो रबी की फसल में कीड़े लगने की संभावना बढ़ जाती है। किसानों को फव्वारा पद्घति से सिंचाई कर अपनी फसल को सुरक्षित रखना चाहिए।
कन्हैयालाल विश्नोई,
सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा

ञ्चक्षेत्र में पानी की कमी के कारण इस बार रबी की फसल किसानों द्वारा कम बोई गई है। तापमान में आ रहा उतार चढ़ाव फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। प्रयास कर फसल को बचाने में लगे है। अभी तक फसल पूरे यौवन पर नहीं आई है।

बाबूलाल चौधरी,
किसान, कोट की ढ़ाणी

विश्नोई की पुण्यतिथि मनाई

रानीवाड़ा
स्थानीय श्री रघुनाथ विश्नोई मैमोरियल कॉलेज में बुधवार को एनएसएस यूनिट के तत्वाधान में पूर्व चिकित्सा एवं कानून मंत्री स्व. रघुनाथ विश्नोई की २०वीं पुण्यतिथि विकास अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा एवं जिला उपप्रमुख हड़तसिंह भोमिया की अध्यक्षता में मनाई गई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शर्मा ने एनएसएस स्वयंसेवकों को स्वरोजगार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। जिला उपप्रमुख हडमतसिंह ने बताया कि विश्नोई उच्च प्रतिभा व सादगी के पूर्ण जीवन के धनी थे। वे पांच बार चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे व चिकित्सा व कानून मंत्री बने। कॉलेज निदेशक व पूर्व प्रधान नरेंद्र विश्नोई ने सभी का स्वागत किया। इस दौरान दो मिनट का मौन रखकर पूर्वमंत्री को श्रद्धांजली अर्पित की। इस अवसर पर जालोर नगर पालिका पार्षद सुरेंद्र विश्नोई, छोटु भाई, कॉलेज प्रवक्ता गोवाराम मेघवाल व अखिलेश कुमार तथा राजकीय महाविद्यालय भीनमाल के प्रवक्ता डॉ. ओमपुरी स्वामी समेत कई लोग मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रबंध सचिव बी.आर. विश्नोई ने किया।

Wednesday 23 December 2009

जोशी समाज का स्नेह मिलन

रानीवाड़ा कस्बे के जोशी छात्रावास में सहस्त्र औदिच्य जोशी मण्डल सुणतर क्षेत्र का सामाजिक स्नेह मिलन समारोह मंगलवार को आयोजित हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि लंदन में व्यवसायरत स्नेहहल मेहता का साफा पहनाकर अभिनंदन किया गया। कस्बे में निर्माणाधीन छात्रावास के लिए डीसा गुजरात से आए त्रिभुवनदास पुंजीराम मेहता ने पांच लाख ग्यारह हजार व लाच्छिवाड़ निवासी भीखाराम जोशी ने ५१ हजार रूपए देने की घोषणा की। इस अवसर पर भूराराम रायपुर, ताराचंद मालवाड़ा, राजेश मेहता जेतपुरा, भंवरलाल जोशी, अमृतलाल वडलू, जगदीश जोशी, स्यामलाल जोशी ने भी समाज के उत्थान को लेकर अपने-अपने विचार व्यक्त किए। समारोह का संचालन डॉ. किशन जोशी ने किया।

Tuesday 22 December 2009

सामुदायिक सभाभवन का लोकार्पण

रानीवाड़ा
विधानसभा क्षेत्र में विद्युत व पेयजल की समस्या के समाधान को लेकर सरकार अतिशीघ्र कई योजनाए शुरू कर रही है। जिले में सर्वाधिक नलकूप रानीवाड़ा क्षेत्र में स्वीकृत हुए है। विद्युत क्षेत्र में भी अगले वर्ष आधा दर्जन से ज्यादा जीएसएस स्वीकृत होने जा रहे हैं। यह बात विधायक रतन देवासी ने कागमाला, चितरोड़ी में नवनिर्मित भवनों के लोकार्पण समारोह में कही।

कागमाला में सामुदायिक सभाभवन के लोकार्पण के अवसर पर उन्होंने कहा कि पानी व बिजली को लेकर कोई भेदभाव नही किया जाएगा। महिलाओं के आर्थिक व सामाजिक विकास को लेकर क्षेत्र में मुड्डा उद्योग को विकसित कर स्वयं सहायता समूह को मजबूत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि रानीवाड़ा क्षेत्र में कंटिजेन्शी प्लॉन के तहत सर्वाधिक राशि स्वीकृत हुई है। इस मौके विकास अधिकारी ओमप्रकाश शर्मा, ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी तौलाराम राणा, सहायक अभियंता जेठाराम वर्मा, डॉ. आत्माराम चौहान, सरपंच रायमल देवासी, पूर्व पंचायत समिति सदस्य भूताराम भील सहित कई लोगों ने भाग लिया।

Sunday 20 December 2009

मौसमी बीमारियों को लेकर संगोष्ठी

रानीवाड़ा. कस्तुरबा गांधी आवासीय विद्यालय में शनिवार को मौसमी बीमारियों को लेकर सीएचसी के इंचार्ज डॉ. हरीश जीनगर की देखरेख में व शिव सांई सेवा समिति के तत्वावधान में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें स्वाइन फ्लू के लक्षणों के बारे में विद्यार्थिओं को विस्तृत में जानकारी दी। आयुर्वेद विभाग के डॉ. लोकेश तिवारी ने जड़ी-बूटियों से बनाया गया काढ़ा विद्यार्थिओं का पिलाया गया। इस अवसर पर समिति के अध्यक्ष मुकेश खंडेलवाल, मेलनर्स सुरेंद्र जोशी व सतीश शर्मा ने भी उपयोगी जानकारी प्रदान की।

ताईवानी पपीते का स्वाद सुणतर में

रानीवाड़ा
सुणतर क्षेत्र की अनुकूल जलवायु के चलते ताईवान देश के पपीतों की यहां के खेतों में अच्छी पैदावार हो रही हंै। कृषि विभाग व जागरूक किसानों ने मिलकर यह अजूबा यहां कई गांवों में कर दिखाया है। पपीते की परंपरागत खेती के बनिस्पत ताईवानी खेती किसानों के लिए लाभप्रद देखी जा रही है। धानोल निवासी रमेशकुमार चौधरी ने तीन वर्ष पहले परंपरागत खेती में हटकर नई तकनीक के कई प्रयोगों की शुरूआत की थी। अभी निकटवर्ती भाटवास में चौधरी ने सैकड़ों बीघा जमीन में यह प्रयोग कृषि विभाग के सहयोग से किया है। जो शतï-प्रतिशत सफल रहा है।

किसानों के लिए वरदान : सहायक कृषि अधिकारी कन्हैयालाल विश्नोई ने बताया कि यह किस्म रानीवाड़ा क्षेत्र किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। एक हैक्टेयर में किसान इस फसल से चार लाख रुपए की नकद कमाई कर रहे हंै। क्षेत्र के किसान जुलाई माह में गुजरात की नर्सरियों से दस रुपए प्रति पौधे के हिसाब से खरीद कर खेतों में बुवाई करते हैं, जबकि देशी पपीते को किसान खुद ही बीज द्वारा तैयार करते हैं। इस फसल को ड्रीप ईरिगेशन सिस्टम द्वारा सिंचित किया जाता है। जिससे पानी की अच्छी बचत हो रही है।

देसी व ताईवानी किस्म की तुलना

दे शी पपीते का स्वाद फीका या कम मीठा होता है, वहीं ताईवानी पपीता स्वादिष्ट व काफी मीठा होता है। जहां देशी पपीते के दो या तीन दिन में खराब होने की संभावना रहती है, वहीं विलायती किस्म आठ से दस दिन तक खराब नहीं होती है। इस खासियत के चलते किसान पपीते को दिल्ली, मुंबई सहित देश के अन्य भागों में भी भेज रहे हैं। देशी पपीते के पेड़ पर ४०-५० किलो फल लगते हैं वहीं ताईवानी पेड़ पर ७०-८० किलो फल प्राप्त होते हंै।