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रतनपुर में गाय पर हमला करने वाले युवक गिरफ्तार, रानीवाडा उपखंड की ताजा खबरों के आपका स्वागत।।

Thursday 18 March 2010

परीक्षा केंद्र यथावत

रानीवाड़ा & मालवाड़ा व सेवाड़ा के माध्यमिक कक्षाओं के छात्रों व उनके अभिभावकों ने स्थानीय विधायक रतन देवासी को पत्र लिखकर परीक्षा केंद्र यथावत रखने को लेकर आभार जताया है। पंचायत समिति सदस्या दिवाली काबा ने बताया कि मालवाड़ा के दसवीं के छात्रों को परीक्षा के लिए सांचौर के मालवाड़ा में परीक्षा देने के लिए जाना था, इसी तरह सेवाड़ा के छात्रों को आहोर तहसील के भाद्राजुन का स्थान निर्धारित किया गया था। इतनी दूरी को देखते हुए ग्रामीणों ने स्थानीय विधायक को पत्र लिखकर निवेदन किया था, जिस पर विधायक ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव से वार्तालाप कर परीक्षा केंद्र पूर्व की भाति यथावत रखने का निवेदन किया गया, जिस पर बोर्ड ने कल फैक्स भेजकर परीक्षा केंद्र पूर्व की भाति रखने के निर्देश दिए।

विकास समिति की बैठक सम्पन्न

रानीवाड़ा & कस्बे की राउमावि बालिका विद्यालय की विद्यालय विकास समिति की बैठक संस्था प्रधाना सोहनीदेवी विश्नोई की अध्यक्षता में हुई। बैठक में बालिकाओं के शिक्षण व्यवस्था में सुधार, पुस्तकालय विकास, खेल-कूद गतिविधियों सहित अन्य समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया। इस अवसर पर जिला परिषद सदस्या ललिता बोहरा, सरपंच गोदाराम देवासी, ग्रामसेवक भाणाराम बोहरा सहित समिति के सदस्यों ने भाग लिया।

Monday 15 March 2010

बोर्ड सेंटर यथावत रखने की मांग

रानीवाड़ा & निकटवर्ती मालवाड़ा ग्राम की राउमावि में चल रही रमसा योजना के तहत प्रधानाचार्यों की बैठक में आए जिला शिक्षा अधिकारी श्यामसुदंर लाहोटी का भाजपा जिला प्रवक्ता मुकेश खंडेलवाल ने कार्यकर्ताओं के साथ घेराव कर मालवाड़ा व सेवाड़ा विद्यालय का बोर्ड सेंटर यथावत पर रखने की मांग की है। खंडेलवाल ने कहा कि राजकीय विद्यालय के छात्र-छात्राओं का बोर्ड केंद्र दुरस्त जगह व निजि विद्यालयों के छात्र-छात्राओं का केंद्र स्थानीय गंाव में रखने का निर्णय गलत है।प्रवक्ता ने मौके से माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के उपनिदेशक धनश्याम मीणा से भी दूरभाष पर वार्ता कर बताया कि सोमवार तक बोर्ड केंद्र बदलने के निर्देश दे दिए जाएंगे, वही खंडेलवाल ने कहा कि सोमवार तक आदेश नही होने पर जिला मुख्यालय पर प्रशासनिक अधिकारी व जिला शिक्षा अधिकारी की ढोल-नगाडे व थाली बजाकर नींद हराम की जाएगी।

सुंदरकांड पाठ का आयोजन

रानीवाड़ा & इंद्रा कॉलोनी में शनिवार रात को सुंदरकांड पाठ का आयोजन किया गया। सुंदरकांड के वाचन में मंडल के ताराचंद भारद्वाज, विश्वनाथ त्रिवेदी, बाबुदास वैष्णव, कृपाल महेश्वरी, तरूण लोढ़ा, चंदूलाल त्रिवेदी, किशोर जोशी, महेंद्रप्रताप, पोपट बोहरा, भाणाराम श्रीमाली, दरगाराम अवस्थी, राहुल वैष्णव के साथ ग्रामीणजन, समाजसेवी समेत महिलाओं ने भाग लिया।

वन मित्रों के चयन की प्रक्रिया शुरू हुई

रानीवाड़ा& तेरह हजार हैक्टेयर से अधिक वन क्षेत्रफल वाले सांचौर व रानीवाड़ा क्षेत्र में वनों की सुरक्षा के लिए नए प्रहरियों के आने की तैयारी हो गई है। कुछ समय बाद वन मित्रों को क्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों में नियुक्ति मिल जाएगी। राज्य में वन विभाग व जनता के बीच सेतु का कार्य करने की दृष्टि से विभिन्न रेंज क्षेत्रों में वन मित्रों की नियुक्ति के तहत रेंज में पांच वन मित्र लगाए जाने हैं। दिसम्बर में उच्चाधिकारियों के निर्देशों के बाद क्षेत्रीय वन अधिकारी को भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को कहा गया था, लेकिन बाद में आचार संहिता लागू होने से यह प्रक्रिया अटक गई थी, लेकिन अब इसे फिर गति मिली है।

आए प्रस्ताव : वन विभाग सूत्रों के अनुसार वन मित्रों की भर्ती एक समिति के माध्यम से होगी। इस समिति में सम्बंधित पंचायत का सरपंच, वन सुरक्षा समिति का अध्यक्ष व विभाग का वनपाल या रेंजर शामिल है। मंडल वन कार्यालय को आधी जगहों से तो वन मित्रों के चयन के प्रस्ताव मिल चुके हैं वहीं शेष जगहों से प्रस्ताव आ रहे हैं।

ञ्चक्षेत्र में वन मित्रों को मंडल स्तर से आवश्यक प्रक्रिया के बाद नियुक्ति दी जाएगी। पहले उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रति माह १५ सौ रूपए मानदेय के रूप में दिए जाएंगे।

-नाहरसिंह सिनसिनवार, क्षेत्रीय वन अधिकारी रेंज रानीवाड़ा व सांचौर

Sunday 14 March 2010

ग्लेंडर बिमारी को लेकर अश्वपालकों में भय व्याप्त

रानीवाड़ा।
प्रदेश में अश्वों की दुर्लभ मानी जाने वाली मालानी नस्ल के अश्वपालकों के लिए बुरी खबर है। अश्वों में विदेशी बिमारी ग्लेंडर का देश में प्रवेश हो गया है। अश्वों व अश्वपालकों के लिए जानलेवा मानी जाने इस बिमारी के चपेट में छत्तीसगढ़ के पांच अश्व आ गए है। कभी भी इस बिमारी का प्रदेश में भी आगाज हो सकता है। राज्य सरकार इस घटना से अनभिज्ञ कुंभकर्णी नींद में सो रही है। अभी बाड़मेर में तिलवाड़ा मेला पूरे यौवन पर चल रहा है। इस मेले में एक हजार से ज्यादा अश्व विभिन्न प्रदेशों से भाग ले रहे है। इसी माह के अंत में जिले के सेवाडिय़ा व सांचौर पशु मेले भी आयोजित होने है। एक भी संक्रमित अश्व के आने पर यह बिमारी विकराल रूप ले सकती है। गौर करने वाली बात यह है कि संक्रमित अश्व के साथ उसके मालिक को भी यह बिमारी लग जाती है। पशुपालन विभाग की बात माने तो इस बिमारी का अभी तक कोई ईलाज नही है। प्रदेश में सर्वाधिक अश्व झालावाड़ में फिर जालोर जिले में पाए जाते है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक ग्लेंडर रोग को अभी तक विदेशी ही माना जाता रहा है। केन्द्र सरकार ने भी दुर्लभ नस्ल के सरंक्षण को लेकर अश्वों को देश से बाहर ले जाने पर पाबंदी लगा रखी है। छत्तीसगढ़ के रायपुर में ५ मार्च को पांच अश्वों में इस बिमारी के लक्षण देखे जाने पर इनके खून के नमूनें हरियाणा के हिसार स्थित नेशनल रिचर्स सेंटर ऑफ इक्विंस भेजे गए, जहां उनके नमूनें पोजीटिव पाए गए। घटना की जानकारी मिलने पर पूरे देश के अश्वपालकों में अज्ञात भय देखा जा रहा है। जबकि प्रदेश की राज्य सरकार का रवैया अश्वपालकों के लिए चिंताजनक है।
एक साल लगा था प्रतिबंध:- गत वर्ष प्रदेश के अश्वों में इक्वाईन होर्स सिकनेस जैसी बिमारी फैली थी, तब राज्य सरकार ने एक वर्ष तक अश्व प्रतियोगिताओं के आयोजन पर प्रतिबंध लगाया था। इस बिमारी का ईलाज था, बाद में उस पर नियंत्रण कर लिया गया। परंतु ग्लेंडर बिमारी के मामले में राज्य सरकार का रवैया अश्वपालकों के हित में नही देखा जा रहा है। राज्य सरकार को सही समय पर अश्वपालकों को सावचेत करना चाहिए ताकि भारी नुकसान से बचा जा सके।
क्या है ग्लेंडर:- अश्वों के लिए घातक संक्रामक बिमारी है। यह बिमारी एक्टीनो बेसीलस मैलाई नामक बैक्टिरीया से फैलती है। बाद में यह जीवाणु मानव को संक्रमित कर लेता है। इस बिमारी के संक्रमण के आने के बाद अक्सर अश्व को मार दिया जाता है। अभी तक यह बिमारी अमेरिका, ब्रिटेन, कनाड़ा में ही पाई जाती थी परंतु अब इसका प्रसारण एशिया व दक्षिण अमेरिका में भी हो गया है।
लक्षण:- संक्रमित अश्व में तीन प्राथमिक लक्षण देखे जा सकते है। सर्वप्रथम अश्व की नासिका की झिल्ली में संक्रमण, श्वसन तंत्रिका पर प्रभाव डालकर फेफड़ों में अवरोध व चर्म संक्रमित होकर सडऩे लग जाती है। आंतों में अल्सर हो कर रस्सी हो जाती है। बिमारी की अंतिम स्थिति को फर्सी कहा जाता है। अंत में अश्व को मारना ही पड़ता है।
इनका कहना:-
इस बिमारी के बारे में राज्य सरकार से निर्देश नही मिले है, निर्देश मिलने पर जिले में आयोजित होने वाले सेवाडिय़ा व सांचौर पशु मेलों में भाग लेने वाले अश्वों के बारे में निर्णय लिया जाएगा।
- डॉ.गंगासिंह जैतावत, उपनिदेशक, पशुपालन विभाग जालोर।
यह बिमारी जानलेवा है, एक भी संक्रमित अश्व के मेलों में आने पर हालात भयानक हो सकते है। गत वर्ष इक्वाईन होर्स सिकनेस के चलते सरकार ने एक साल तक अश्वों की प्रतियोगिताओं पर प्रतिबंध लगाया था।
- डॉ. मुकेश पटेल, प्रभारी पशु चिकित्सक मालवाड़ा।
यह बिमारी राज्य में भी आ सकती है, अश्वों के सरंक्षण के प्रति सरकार जागरूक नही है। मालानी नस्ल के बचाव को लेकर विभाग को संवदेनशील होकर निर्णय लेना चाहिए।
- गौरव कुमार, अश्व प्रेमी जोधपुर।

केसर से होने लगी कमाई


रानीवाड़ा!धानोल के एक खेत में कश्मीर का केसर खुशबु बिखेर रहा है। रंग बिरंगें फुलों की छटा यहां देखते ही बनती है।
केसर क्यारियों के कारण आस-पास के खेतों में इसकी खुशबु महक रही है। गांव के केवाराम चौधरी ने करीब तीन माह पूर्व अपने खेत में एक बीघा कृषि भूमि में माउंट आबू की ब्रह्माकुमारी संस्था से केसर के बीज लाकर उगाए थे। अब इन बीजों से पौधे बन गए हैं जो केसर के फूलों से महक रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पूर्व भास्कर ने बताया था कि क्षेत्र के किसान खेतों में केसर उगा रहे हैं और उनका यह प्रयोग सफल होता है तो इससे किसानों की तकदीर भी बदल सकती है। अब जैसे जैसे केसर पर फूल आ रहे हैं। किसानों के चेहरे भी खिल रहे हैं। क्षेत्र में केसर की खेती सभी किसानों के लिए चर्चा का विषय बनी हुई है।
प्रगतिशील किसान चौधरी ने प्रथम में प्रयोग कर सफलता प्राप्त की है। उन्होंने अब केसर उतारना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं आधा किलों केसर डीसा के बाजार में पचास हजार रूपए प्रतिकिलों के भाव से बेची भी है। चौधरी ने बताया कि कश्मीर की जैसी जलवायु इस क्षेत्र की नही है, फिर भी ऐसी भौगोलिक परिस्थितियों में भी केसर की खेती आशा के अनुरूप खरी उतरी है। एक बीघा जमीन में दो किलो केसर निकलने की संभावना है। इस खेती में कम लागत से ज्यादा आमदनी हो रही है।
किसानों के लिए प्रेरणा बनी फसल

कृषि विभाग के अधिकारी कन्हैयालाल विश्नोई ने बताया कि निसंदेह धानोल में केसर की खेती हो रही है, परंतु कश्मीर जैसी जलवायु नहीं मिलने के कारण गुणवत्ता के मामले में कुछ कम है। इस केसर की खेती की सफलता को देखते हुए काफी किसानों ने अब चौधरी की राह अपनाने का निर्णय लिया है। इस वर्ष नवंबर महिने में काफी किसान सुणतर क्षेत्र के काफी किसान अपने खेतों में केसर उगाएंगे। बकौल, चौधरी ने बताया कि उनके इस प्रयोग का निरीक्षण करने के लिए गुजरात की दांतीवाड़ा कृषि विश्वविद्यालय की टीम ने दौरा किया। उनके द्वारा दिए गए दिशा निर्देशन में इस खेती की सार-संभाल करने पर ही यह प्रयोग सफल हो पाया है। इस खेती से किसान को डेढ़ लाख रूपए आय होने की संभावना है।

केरोसिन के लिए भटक रहे विद्यार्थी

रानीवाड़ा!एक ओर जहां छात्र छात्राएं परीक्षा की तैयारी में लगे हुए हैं वहीं उन्हें केरोसीन के लिए भटकना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों से यहां आकर रहने वाले छात्र छात्राओं को केरोसीन नहीं मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार ने केरोसिन आवंटन प्रक्रिया शुरू की, लेकिन इन दिनों कस्बे में विद्यार्थी केरोसिन के लिए भटकते रहे हंै।

योग शिविर सेवाड़ा में

रानीवाड़ा . निकटवर्ती सेवाड़ा ग्राम में पतंजलि योग समिति एवं भारत स्वाभिमान रिकॉर्ड के तत्वाधान में तीन दिवसीय योग विज्ञान शिविर रविवार से होगा। शिविर में प्रशिक्षित योगाचार्य द्वारा प्राणायम एवं आसन सिखाए जाएंगे। शिविर में जिला प्रभारी शैतानसिंह राव भी अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे।

अवैध खनन का मौका देखा

रानीवाड़ा . मालवाड़ा की पहाड़ी में कई दिनों से चल रहे अवैध खनन से हो रहे पर्यावरण के नुकसान को लेकर ग्रामीणों के एतराज पर सहायक खनन अभियंता एसके यादव ने मौका स्थल का मुआयना किया। ग्रामीणों ने बताया कि आबादी भूमि के पास स्थित विष्णुगिरी गुफा व समाधि स्थल के पास अवैध खनन कर्ताओं के द्वारा खनन किया जा रहा है। जिससे पेयजल टंकी विद्यालय भवन को नुकसान होने की संभावना है। ग्रामीणों की शिकायत पर खनिज विभाग के अभियंता ने घटना स्थल पर आकर ग्रामीणों ने पूरी जानकारी ली, परंतु रात हो जाने से खान की पेमाईश नहीं हो सकी।

परीक्षा केंद्र दूर होने से विद्यार्थियों में रोष

रानीवाड़ा
तहसील क्षेत्र की मालवाड़ा गांव के दसवीं कक्षा में अध्ययनरत विद्यार्थियों का परीक्षा के केंद्र दूर-दराज आने से परेशानी खड़ी हो गई है। मालवाड़ा के विद्यार्थियों ने पंचायत समिति सदस्य दिवालीदेवी काबा के नेतृत्व में एसडीएम को ज्ञापन सौंप कर अविलंब केंद्र बदलने की मांग की है। उन्होंने बताया कि सेवाड़ा के विद्यार्थियों का परीक्षा केंद्र सांचौर तहसील के मालवाड़ा ग्राम की रामावि में रखा गया है। अभिभावकों ने बताया कि केंद्र का चयन विभाग के द्वारा गलती से हुआ है। अत: इस गलती को अविलंब सुधारा जाए।