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Monday 3 May 2010

पुरोहित बने जिले की ओळखांण

रानीवाड़ा।
जीवन एक समर है सचमुच, जीवन एक सफर है सचमुच। यह कहना है वात्सल्यधाम के संचालक प्रागाराम पुरोहित का। भरपूर उर्जावान, आत्मबल से लबालब पुरोहित जिले के रानीवाड़ा उपख्ंाड़ पर अनाथ बच्चों का आश्रम संचालित कर रहे है। वात्सल्यधाम के नाम प्रसिद्ध इस संस्थान ने पुरोहित की बदौलत जिले को समूचे प्रदेश में ओळखांण दी है।
किसान पृष्ठभूमि के प्रागाराम पुरोहित ने बरसों पूर्व मन में अनाथ बच्चों की सेवा के लिए आश्रम की स्थापना करने का ठान लिया था। इस मिशन में उनके सारथी बने स्वामी आत्मानंद सरस्वती महाराज। उनकी प्रैरणा व आशीर्वाद के बदौलत आज वो इस मुकाम तक पहूंच पाए है। इस समय धाम में ७० से भी ज्यादा अनाथ बच्चें अध्ययनरत है। उनके अध्ययन के लिए बाकायदा धाम के परिसर में माध्यमिक विद्यालय शुरू किया गया है। जहां इन बच्चों के नि:शुल्क अध्ययन की व्यवस्था की गई है।
धाम में आधुनिक व समस्त सुविधाओं से संपन्न भवन का निर्माण किया गया है। जिसका लोकार्पण विहिप के अध्यक्ष अशोक सिंहल के द्वारा किया गया था। पुरोहित ने बताया कि इस कांटों भरे कार्य में कई समाजसेवी लोगों ने भरपूर सहयोग दिया। अनाथ आश्रम के रूप में इस संस्थान को मारवाड़ में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ है। पुरोहित का मानना है कि दिल में हिम्मत हो, कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम मुश्किल नही होता। अगले मिशन के रूप में पुरोहित की इच्छा है कि इस संस्थान को प्रदेश स्तरीय बनाने की है। साथ ही परिसर में सेवार्थ
अस्पताल शुरू करने का है। नि:संदेह पुरोहित के इस प्रयास से जिले को नई ओळखांण मिली है।

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