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Sunday 22 August 2010

खरपतवार के खिलाफ मित्र बैल


रानीवाड़ा
क्षेत्र में खरीफ की फसल में खरपतवारों की रोकथाम को लेकर किसानों ने परम्परागत तरीके अपनाने शुरू कर दिए है। इस वर्ष अच्छी बरसात होने से किसानों के खेत सोना उगल रहे है, परंतु फसल में खरपतवार की अधिकता के चलते भूमि में पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना जताई जा रही है। इन दिनों गांव-गांव ढाणी-ढाणीं में किसान अपने खेतों में खरपतवार की रोकथाम के कई तरीके प्रयोग में लेते दिखाई दे रहे हंै। 
जानकारी के मुताबिक, फसलों के पौधे अपनी प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों से मुकाबला नही कर पाते हैं। किसान खरपतवारों को तब तक बढऩे देते ह़ै जब तक की वह हाथ से पकड़कर उखाडऩे योग्य नहीं हो जाए, लेकिन उस समय तक खतपतवार फसलों को काफी नुकसान कर चुकी होती है। ऐसे में किसान इस खरपतवार को निकालने के लिए कई पारंपरिक और रोचक तरीके अपनाते हैं। इनमें से ही एक है बैलों की मदद से इसे निकालना।खेतों में खड़ी फसल को बैल नुकसान नही पहुंचाए व सीधी लाईन में चाल बनी रहे। उसके लिए किसान बैलों के मुंह पर खरणीया या खीपड़ा का पौधा बांध देते है, जिससे बैल सही दिशा में सही समय पर चलता रहता है। वह किसान के दिए गए निर्देशों की पालना करता है। यह तरीका परम्परागत रूप से कई वर्षों से क्षेत्र में प्रचलित है।

क्या है तरीके : किसान फसलों में खरपतवार की रोकथाम को लेकर कई तरीके अपनाते है। जिसमें मुख्यत: हाथ से निराई गुड़ाई है। इस तरीके के तहत बुवाई के 15 से ४५ दिनों के मध्य खुरपी से खरपतवार को निकाला जाता है। बैलों द्वारा गहरी जुताई करने से भी खरपतवार पर रोकथाम लगती है। हाथ से चलने वाले गुड़ाई यंत्र से भी खरपतवार को काफी सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा रसायनों के प्रयोग से भी खरपतवार को समाप्त किया जा सकता है।

इनका कहना

खरपतवार की रोकथाम में परम्परागत तरीके किसानों के लिए अभी भी लाभदायी है। थोड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है, परंतु परिणाम किसान के पक्ष में रहता है।

- गोदाराम देवासी, किसान एवं सरपंच, रानीवाड़ा

खरपतवार की रोकथाम को लेकर किसानों को समय-समय पर विभाग द्वारा जानकारी दी जाती है। इस बार भी किसानों को पर्याप्त मात्रा में खरपतवार की रोकथाम को लेकर रसायनिक दवाओं की जानकारी दे दी गई है। 

-कन्हैयालाल विश्रोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा

हाड़ेचा. कस्बे सहित आस-पास के इलाकों में इस बार अच्छी बारिश के बाद किसानों ने बंपर बुवाई की है। खरीफ की अच्छी फसल होने के कारण किसानों ने अपनी अलग-अलग तकनीकों द्वारा खेतो में खरपतवार शुरू कर दी है। इसको लेकर किसान अपने खेतो में बैल, ऊंट एवं टै्रक्टरों से बाजरे की फसल में खरपतवार करने में जुट गए हैं।

नुकसान

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खरपतवार से 25 से 70 प्रतिशत तक उत्पादन घट सकता है। इनके द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति को प्रभावित किया जाता है। भूमि में उर्वरक, नाईट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश की मात्रा घटने से फसलें प्रभावित होती हैं। इन दिनों खेतों में निराई गुडाई का काम भी जोरो पर हंै। किसान द्वारा सही समय पर खरपतवार नही निकालने पर काफी नुकसान होने की संभावना होती है।

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