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Thursday 17 September 2015

सरपंच ने जतायी नाराजगी

करवाड़ा में पीएचसी भवन शिलान्यास में प्रधान व सरपंच को आमंत्रित नहीं करने पर प्रतिक्रिया, दिया ज्ञापन

रानीवाड़ा।
सरकार की नाराजगी को लेकर ज्ञापन देते करवाडा निवासी 
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भवन करवाड़ा के शिलान्यास समारोह में प्रधान व सरपंच को आमंत्रित नहीं करने पर लोगों ने नाराजगी जतायी है। करवाड़ा सरपंच ने सोमवार को जिला कलक्टर के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर कार्यक्रम में सरपंच को आमंत्रित नहीं करने एवं उद्घाटन पट्टिका में नाम का उल्लेख नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए मामले की जांच करवाने का निवेदन किया है। सरपंच तलसाराम देवासी ने बताया कि ११ सितम्बर को चिकित्सा विभाग के द्वारा विधायक नारायणसिंह देवल के हाथों भवन का शिलान्यास करवाया गया था। उक्त कार्यक्रम में प्रधान श्रीमति रमीला मेघवाल व सरपंच तलसाराम देवासी को आमंत्रित नहीं किया गया। जिससे करवाड़ा के ग्रामीणों में रोष देखा जा रहा है। देवासी ने बताया कि सार्वजनिक कार्यक्रम में राजनीति करना गलत है। पंचायतीराज के निर्देशों की अवहेलना है। चिकित्सा विभाग पंचायतीराज विभाग के अन्तर्गत होने के बावजूद ऐसा ककृत्य करने वाले अधिकारी के विरूद्ध कार्यवाही करने का निवेदन किया है। ताकि भविष्य में जनप्रतिनिधियों को जलील होना नहीं पडे। ज्ञापन देते वक्त सुरेश विश्रोई, कालुराम देवासी, रेखाराम मेघवाल, रूपाभारती, फौजाराम दर्जी, वरधाराम, नागजीराम भील, केसाराम, गोगाराम, सुखराम, भगवानाराम, नानजीराम सहित काफी तादात में लोगों मौजूद थे।

2 comments:

Maria said...

भारत एक कृषि प्रधान देश है और रहेगा इस में कोई संदेह नहीं है। विगत कुछ सालों से आयी आयातित गहरी जुताई ,रासायनिक उर्वरक ,भारी सिंचाई और मशीनों के कारण हमारे देश पर कृषि के अस्तित्व का भारी संकट आ गया है। खेत मरुस्थल में तब्दील होते जा रहे हैं और किसान खेती छोड़ रहे हैं। खेती किसानी के संकट के कारण उद्योग धंदे भी मंदी की चपेट में है। पर्यावरण नस्ट होते जा रहा है इस कारण महामारियां अपने चरम पर पहुँच रही है। हम सब जानते हैं की हमारी खेती किसानी हमारे पशुधन से जुडी है किन्तु अब पशुओं के लिए चारे का गंभीर संकट आ गया है इस कारण पशुधन भी लुप्तप्राय होने लगा है। एक और हमारे पालनहार अनाज ,फल सब्जियां प्रदूषित हो गए हैं वहीँ अच्छा दूध ,अंडे मांस भी अब उपलब्ध नहीं है। इसलिए अब हम बड़े खाद्य संकट में फंस गए हैं। वैज्ञानिक खेती के कारण हमारा पालनहार कार्बो आहार इतना खराब हो गया है की हर दसवा इंसान मधुमेह , मोटापे और कैंसर जैसी घातक बीमारी के चंगुल में फंसते जा रहा है। दालें जिन्हे हमारे पूर्वज बच्चे पाल कहते थे लुप्त होती जा रही हैं। उनमे भी आवशयक पोषक तत्व नदारत हैं। समस्या यह आ गयी है की आखिर हम क्या खाएं क्या नहीं खाये।


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rkk said...

Nice Post