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Monday 12 September 2011

निखरा सुंधा पर्वत का सौंदर्य


रानीवाड़ा।
समीपस्थ प्रसिद्ध सुंधामाता तीर्थ का प्राकृतिक सौंदर्य इन दिनों अपने शबाब पर है। सुंधांचल की वादियों में छाई हरियाली बरबस ही सबको अपनी ओर आकर्षित कर रही है।
सुंधांचल की वादियों मे स्थित प्रसिद्ध सुंधामाता तीर्थ में पर्यटकों का आना प्रारंभ हो गया है। सुंधांचल की पर्वत श्रृंखलाओं के बीच स्थित सुंधामाता तीर्थ में बारिश के दिनों में छाई हरियाली और प्राकृतिक वातावरण को निहारने व चामुंडा माता के पूजन के लिए राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों से प्रतिवर्ष लाखों पर्यटक पहुंचते हैं।
सुंधांचल के पहाड़ों पर बादल भी विचरण करते हुए दिखाई देते है मानों बादल भी यहां के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने के लिए आए हों। चारों ओर छाई हरियाली और बिना किसी शोरशराबे के यह क्षेत्र शांति की अनुभूति कराता है।
पर्यटकों की संख्या हजार के पार:- सुंधांचल के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने के लिए प्रतिदिन सैकड़ों पर्यटक यहां पहुंचते हैं। रविवार और अवकाश के दिन सुंधा पर्वत, खोडेश्वर महादेव व आसपास के हजारों लोग यहां पिकनिक मनाने के लिए पहुंचते है। अन्य राज्यों से यहां पर पर्यटकों के आने का क्रम जारी रहता है। पर्वत पर स्थित दूकानदार नटवरसिंह राव ने बताया कि प्रतिदन करीब १०00 से अधिक लोग यहां आते हैं। जिस दिन अवकाश होता है उस दिन इनकी संख्या हजारों के आसपास पहुंच जाती है।
भा रहे मन को सुंधा के धोरे :- पर्वत पर स्थित सुंधामाता मंदिर के पीछे विशाल ऊंचे धोरे पर्यटको को अपनी ओर बरबस ही खींच रहे है। धोरो की तलहटी में विशाल पानी का तालाब और उसमें पड़ती धोरो की परछाई लोगों को काफी समय तक वहां बैठने को मजबूर करती है। काफी पर्यटक इन धोरो पर चढते है। धोरो की चढाई खड़ी होने के कारण दुर्गम मानी जाती है, बाद में ऊपर से पर्यटक नीचे की ओर दौड़ लगाते है, जो काफी लोगों के लिए मनोरंजन व मन को भाने वाली दौड़ होती है।  
हरियाली मोह रही मन:- सुंधांचल में बारिश के दिनों में पूरे पहाड़ी क्षेत्र में हरियाली छाई रहती है। पर्यटक सुंधामाताजी के दर्शन के बाद पहाड़ी की चोटी पर स्थित भैरूजी मंदिर तक पहुंचते हैं। चोटी पर पहुंचने के बाद यहां से प्रकृति का एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। चारों ओर हरियाली से आच्छादित पहाड़ों का सौंदर्य देखते ही बनता है।
बहने लगे झरने :- सुंधाचल के पहाड़ी क्षेत्र से बहने वाले झरने पर्यटकों का मन मोह रहे हैं। बारिश के दिनों में यहां झरनों का बहना प्रारंभ हो जाता है। पहाड़ों से बहने वाले झरनों में यहां आने वाले पर्यटक जलक्रीड़ा का भी लुत्फ उठा रहे हैं। पहाड़ों से बहने वाले झरनों का बहना बारह मास तक जारी रहता है।

2 comments:

govindpacl said...

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