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Wednesday 30 June 2010

रानीवाड़ा में टर्की की भेड़ पर प्रयोग


रानीवाड़ा
खेती किसानी में नए सफल शोध व प्रयोग के बाद अब पशुपालन में भी सुणतर क्षेत्र नए मुकाम तय करने में जुटा है। मैत्रीवाड़ा गांव के एक किसान ने देशी भेड़ की जगह अब सुदूर टर्की देश से भेड़ें मंगवा कर पशुपालन क्षेत्र में नई क्रांति लाने का प्रयास किया है। काफी महंगी माने जाने वाली इस ब्रीड की चर्चा क्षेत्र में जोरों पर है। उपख्ंाड क्षेत्र के मैत्रीवाड़ा गांव के रणजीतसिंह देवड़ा ने यहां यह प्रयोग करने का प्रयास किया है। इसके अलावा भी यहां अन्य कई पशुओं की विदेशी नस्ल का प्रयोग किया जा रहा है। देवड़ा ने बताया कि उनके पास देशी भेड़ों की काफी तादाद थी। इस बीच टर्की की उन्नत नस्ल की भेड़ की जानकारी मिली तो इस नस्ल की भेड़ों को भी यहां लाकर प्रयोग किया जा रहा है। पशुपालन विभाग के डॉ. मुकेश पटेल की देखरेख में वहां से मंगवाए गए टर्की के भेड़ के जोड़े की देखभाल की जा रही है। अगर यहां यह प्रयोग सफल होता है तो यकीनन इससे भविष्य में पशुपालकों की हालत में सुधार आएगा।

क्या हैं विशेषताएं

टर्की की इस नस्ल में मांस व दूध की तादाद ज्यादा होती है। देशी भाषा में इसे थुंबा कहा जाता है। इसकी पूंछ बहुत ही छोटी व मांसल होती है। पूंछ की जगह मांसल भाग पीछे की ओर लटकता है। डॉ. पटेल के अनुसार भेड़ों में ऊन की मात्रा कम ही होती है। इस कारण से मारवाड़ में इसका प्रचलन कम ही होता है। देशी नस्ल की तुलना में इसकी ऊंचाई ज्यादा होती है। एक व्यस्क भेड़ का वजन ८० किलो अनुमानित होता है, जो कि देशी भेड़ की तुलना में काफी ज्यादा होता है। हालांकि यह नस्ल बहुत ज्यादा महंगी होने से आम लोगों के लिए सपने जैसी होती है। एक नर भेड़ की कीमत अनुमानित ७० से ८० हजार मानी जाती है। मतलब यह देशी भेड़ की तुलना में १० गुना ज्यादा होती है। महंगी होने के बावजूद अपनी कुछ विशेषताओं के कारण ये भेड़ पशुपालकों के लिए मुनाफे का सौदा माना जाती है।

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