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Tuesday 23 February 2010

शून्य से शिखर की ओर


रानीवाड़ा. कभी स्वयं को किसी से कम नही समझना चाहिए। शून्य से शुरू होकर उच्च मुकाम तक पहुंचने के बीच कई प्रकार की मुश्किलों से सामना करना पड़ता है। संघर्षकर मंजिल पाने का अलग ही अनुभव है। यह बात जिले के हरमू गांव निवासी मनोहरसिंह चारण पर सटीक बैठती है। मनोहरसिंह ने जिले की जसवंतपुरा कस्बे की नवोदय विद्यालय से उच्च माध्यमिक शिक्षा लेकर अहमदाबाद के आईआईएम तक पहुंचने का गौरवशाली सफर तय किया है। देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान में पहुंचकर चारण ने जिले का नाम रोशन किया है।

परिचय : भीनमाल तहसील के हरमू गांव के किसान महेशदान चारण के पुत्र मनोहरसिंह ने उच्च माध्यमिक शिक्षा २००१ में विज्ञान वर्ग से ८५ प्रतिशत अंको से उत्तीर्ण की थी। वह अपनी कक्षा में टॉपर स्थान पर रहा। कोटा से आईआईटी का फाऊंडेशन कॉर्स कर २००३ में चारण का कानपुर आईआईटी में चयन हुआ। इन्होंने २००७ में आईआईटी डिग्री प्राप्त कर गुडगांव व हैदराबाद की मल्टीनेशनल कंपनीज में कुछ समय के लिए कार्य किया। बाद में केट परीक्षा में चयन होकर इन्टरव्यू व ग्रुप डिस्कशन के बाद उनका चयन आईआईएम अहमदाबाद

में हुआ।

सफलता का श्रेय पिता को : चारण ने इस मुकाम तक पहुंचने का श्रेय अपने पिता को दिया है। उन्होंने खेती-बाड़ी से कड़ी मेहनत कर रुपए जमा किए थे। जो महाविद्यालय शुल्क के तौर पर अदा कर अच्छे पिता की भूमिका निभाई है। उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई भी तमिलनाडू से इंजीनियरिंग की शिक्षा ले रहा है। जिसने उच्च माध्यमिक तक की शिक्षा जसवंतपुरा के नवोदय विद्यालय से ली है।

प्रेरणास्रोत्र स्वामी विवेकानंद : चारण अपना आदर्श स्वामी विवेकानंद को मानते हैं। उनकी हार्दिक इच्छा है कि आईआईएम की शिक्षा लेकर वह देश में ही रहकर प्रदेश के लोगों का आर्थिक स्तर ऊपर उठाने के लिए प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाए। गौरतलब है कि आईआईएम अहमदाबाद का नाम देश के टॉप १० प्रबंधन संस्थानों में आता है। जिले का यह प्रथम ऐसा होनहार विद्यार्थी है, जिसका चयन आईआईएम अहमदाबाद में हुआ है। - राव गुमानसिंह

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