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Monday 5 July 2010

किसने दिया देश को बंधक बनाने का हक

पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्यवृद्धि के खिलाफ विपक्ष के व्यापक भारत बंद के कारण पूरे देश में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। अनिवार्य सेवाओं पर भी बंद का असर दिख रहा है। बसों-ट्रेनों को भी रोका जा रहा है, तोड़फोड़ हो रही है। लोग परेशान हैं, विशेषकर निचला तबका, उस पर दोहरी मार पड़ रही है। महंगाई से पहले ही त्रस्त था, ऊपर से ऐसा बंद, दिहाड़ी पर असर डालता है। आम आदमी के नाम पर किए गए बंद का सबसे ज्यादा नुकसान इसी आम आदमी को ही झेलना पड़ रहा है। मुंबई की सड़कों से बंद के एक दिन पहले ही ऑटो और टैक्सियां गायब हो गई थीं। दिल्ली में मेट्रो के पहिए भी ठहर गए हैं। एयरपोर्टों पर मौजूद यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। देश के कई हिस्सों में ट्रेनें नहीं चलने दी जा रही हैं। प्लेटफार्म पर सैकड़ों की संख्या में लोग इंतजार में बैठे हुए हैं। किसी मां को अपने बेटे के आने का इंतजार है। किसी का कोई जरूरी इंटरव्यू था। कोई बेटा अपने गंभीर पिता के इलाज करवाने की जद्दोजहद में लगा है। बढ़ती महंगाई के खिलाफ तकरीबन समूचे विपक्षी दलों की एकजुटता के बावजूद यूपीए सरकार ने कीमतें घटाने से इनकार कर दिया है। लोग क्या करें। कहां जाएं। इससे भी बड़ा प्रश्न है कि आखिर देश को बंधक बनाने का हक कैसे किसी को मिल सकता है।

1. क्या आपको नहीं लगता कि आवश्यक सेवाओं को वास्तविक रूप में बंद से मु्क्त रखा जाना चाहिए।

2. सरकार ने लोगों से वादा किया था, सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाएंगे। लोगों को परेशानी नहीं आने दी जाएगी। लेकिन हालात बता रहे हैं कि सरकार की बात सिर्फ लचर आश्वासन ही बनकर रह गई है। 

3. क्या व्यापक बंद ही किसी समस्या का हल है। क्या अपनी बात रखने के लिए कोई दूसरा तरीका नहीं हो सकता है। 

4. सबसे बड़ा प्रश्न क्या पार्टियों को लोगों के नाम पर इस तरह के बंद का हक होना चाहिए।

आप भी डिस्कशन बोर्ड में भाग लीजिए। अपनी राय अन्य व्यूअर्स से शेयर कीजिए।

2 comments:

sanu shukla said...

1- bilkul rakha jana chahiye

2-sarkar hamesha se hi lachar rahi hai

3-fir akhir apni bat gungi aur bahri sath me andhi sarkar tak pahunchane ka kya zariya ho sakta hai..

4-SC ne apne purv ke faisle ko badal kar ise vaidh kaha hai..

Guman singh said...

Welcome sanu