रानीवाड़ा
क्षेत्र का ऐतिहासिक श्रीआपेश्वर पशु मेला सेवाडिय़ा शुक्रवार से रानीवाड़ा के सेवाडिय़ा गांव के ओरण में शुरू हो गया। मुख्य अतिथि जिला प्रमुख जसवंत कंवर और रानीवाड़ा विधायक रतन देवासी ने ध्वजारोहण व बैलों की जोड़ी का पूजन कर मेले का शुभारंभ किया। इस अवसर पर पूर्व विधायक डॉ. समरजीतसिंह ने भी भाग लिया।
जिला प्रमुख ने कहा कि इस तरह के पारंपरिक मेलों के आयोजन से पशुपालकों में स्वच्छ प्रतिस्पर्धा की भावना पैदा होती है। मेलें में पशुपालकों व पशुओं के लिए माकुल व्यवस्थाओं का इंतजाम किया गया है। विधायक रतन देवासी ने कहा कि यह पशुमेला मारवाड़ व गुजरात के पशुपालकों में अतिलोकप्रिय है। मेलें के इतिहास में पहली बार नया प्रयोग कर संपूर्ण व्यवस्थाओं को ठेके पे दिया गया है, जो कि इस बार सफल रहा है।
इस प्रयोग से पंचायत समिति को चार गुनी आय ज्यादा प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार से प्रयास कर इस मेलें को पर्यटन के नक्शेे मे सम्मिलित किया जाएगा, ताकि मेलें में विदेशी पर्यटक भी भाग ले सके। उन्होंने कहा कि रानीवाड़ा तहसील में पेयजल का संकट विकराल रूप लेता जा रहा है। इसके लिए नर्मदा का पेयजल प्रोजेक्ट की वित्त्ीाय स्वीकृति को लेकर मुख्यमंत्री से भी निवेदन किया गया है, आशा है कि यह प्रोजेक्ट अतिशीघ्र शुरू हो सकेगा। पूर्व विधायक डॉ. समरजीतसिंह ने कहा कि भारतीय ग्रामीण संस्कृति को जीवित रखने के लिए मेले आवश्यक है। राज्य सरकार पशुपालकों के हितो की रक्षा करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही है। पशु चिकित्सालयों की स्वीकृति भी हो रही है। इससे पूर्व मेलाधिकारी ओमप्रकाश शर्मा ने मेला प्रतिवेदन पढ़कर सुनाया।
उन्होंने मेले के इतिहास की जानकारी देकर मेले से होने वाले फायदों के बारे में बताया। शुभारंभ समारोह में राउप्रावि की बालिकाओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रधान राधादेवी देवासी, सेवाडिय़ा मठ के मंहत रतन भारती, एसडीएम कैलाशचंद्र शर्मा, तहसीलदार खेताराम सारण, हरजीराम देवासी सहित कई जनों ने भाग लिया। शुभारंभ समारोह के बाद विधायक रतन देवासी ने रानीवाड़ा डेयरी द्वारा संचालित स्टॉल और नशा मुक्ति के लिए शिव सांई सेवा समिति की प्रदर्शनी का फिता काटकर उदï्घाटन किया। मेले में अभी तक छह हजार से भी ज्यादा पशुओं का आवक हो गई है तथा अभी भी पशुओं का आना जारी है। मेले में हरियाणा के अलावा उतर प्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश तक के व्यापारी पशु खरीदने आते हंै। इसी वजह से मेले में भारी संख्या में स्थानीय पशुपालक अपने पशुओं को बिक्री के लिए लेकर पहुंचते है।
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