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Saturday 28 August 2010

क्षत्रिय युवक संघ का शिविर सम्पन्न

रानीवाड़ा
क्षत्रिय युवक संघ का प्राथमिक प्रशिक्षण शिविर पतालेश्वर शिव मंदिर सेवाड़ा में सम्पन्न हुआ। इस चार दिवसीय शिविर में भाग ले रहे स्वयंसेवकों को जीवन जीने की प्रणाली को व्यवहार में उतारने को लेकर प्रशिक्षित किया गया। साथ ही युवाओं में देश प्रेम की भावना का संचार करते हुए आदर्श नागरिकता के बारे में बताया गया। 
शिविर प्रमुख महेंद्रसिंह गुजरावास ने क्षत्रिय के दायित्वों, संस्कार व मानव मात्र के प्रति संभाव के बारे में स्वयंसेवकों को बताया। शिविर में रानीवाड़ा, भीनमाल, सांचौर सहित आसपास के गांवों से ८० स्वयंसेवकों ने 
भाग लिया। मंडल प्रमुख फूलसिंह जाखड़ी ने बताया कि शिविर व्यवस्था तथा खान-पान सेवाड़ा गांव के लोगों द्वारा गई। शिविर के समापन पर बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे।

बालोत निर्विरोध निर्वाचित

रानीवाड़ा।
जालोर-सिरोही जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लि. द्वारा संचालित जसमूल डेयरी के चुनाव में आज जोगसिंह बालोत निर्विरोध चैयरमैन पद पर चुने गए। निर्वाचन अधिकारी सोहनलाल लखानी ने बताया कि आज शुक्रवार को चुनावी प्रक्रिया के तहत एक मात्र बालोत का नामांकन रहने पर उन्हें निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया। घोषणा होते ही उनके समर्थकों ने नारेबाजी कर खुशी जाहिर कर उन्हें फुलमालाएं पहनाकर स्वागत किया। बाद में उन्होंने चैयरमैन पद के लिए शपथ ग्रहणकर विधिवत तरीके से कार्यभार संभाला। संचालक मंडल के सभी सदस्यों का भी मालाओं से स्वागत किया गया। इस अवसर पर वगताराम पाल, जलालखां, समंदरदेवी, शंकरलाल व ऐलचीदेवी सहित एमडी एम.एल.गरवा, दिलीपकुमार सहित डेयरी के समस्त स्टॉफ ने भी भाग लिया।

Wednesday 25 August 2010

मेल नर्स लगाने की मांग

रानीवाड़ा!
निकटवर्ती धानोल के लोगों ने कलेक्टर को पत्र प्रेषित कर गांव में मौसमी बीमारियों को देखते हुए मेल नर्स लगाने की मांग की है। ग्रामीणों ने बताया कि सात हजार की आबादी वाली ग्राम पंचायत में वर्तमान में सिर्फ एएनएम कार्यरत है। मजबूरन मरीजों को इलाज के लिए गुजरात की ओर जाना पड़ता है। गांव में मेल नर्स होने पर सभी बीमारियों का इलाज यहीं पर हो सकेगा।

ग्रामसेवकों व सरपंचों का धरना आज से

रानीवाड़ा
पंचायत समिति कार्यालय के सामने बुधवार को ग्रामसेवक अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन धरना देंगे। जिलामंत्री भाणाराम बोहरा ने बताया कि प्रदेश नेतृत्व के निर्देशानुसार समिति के समस्त ग्रामसेवक सामूहिक उपार्जित अवकाश लेकर ग्यारह सूत्री मांगों को मनवाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। परिणामस्वरूप समिति क्षेत्र में नरेगा के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इसी तरह सरपंच संघ के तहसील अध्यक्ष गणेशाराम देवासी ने मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपकर बताया कि २६ अगस्त को ग्रामसभा के दौरान होने वाले सामाजिक अंकेक्षण का समस्त सरपंच बहिष्कार करेंगे। उन्होंने बताया कि सरपंचों की काफी मांगें सरकार के द्वारा विचाराधीन चल रही हंै।

Sunday 22 August 2010

खरपतवार के खिलाफ मित्र बैल


रानीवाड़ा
क्षेत्र में खरीफ की फसल में खरपतवारों की रोकथाम को लेकर किसानों ने परम्परागत तरीके अपनाने शुरू कर दिए है। इस वर्ष अच्छी बरसात होने से किसानों के खेत सोना उगल रहे है, परंतु फसल में खरपतवार की अधिकता के चलते भूमि में पोषक तत्वों की कमी होने की संभावना जताई जा रही है। इन दिनों गांव-गांव ढाणी-ढाणीं में किसान अपने खेतों में खरपतवार की रोकथाम के कई तरीके प्रयोग में लेते दिखाई दे रहे हंै। 
जानकारी के मुताबिक, फसलों के पौधे अपनी प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों से मुकाबला नही कर पाते हैं। किसान खरपतवारों को तब तक बढऩे देते ह़ै जब तक की वह हाथ से पकड़कर उखाडऩे योग्य नहीं हो जाए, लेकिन उस समय तक खतपतवार फसलों को काफी नुकसान कर चुकी होती है। ऐसे में किसान इस खरपतवार को निकालने के लिए कई पारंपरिक और रोचक तरीके अपनाते हैं। इनमें से ही एक है बैलों की मदद से इसे निकालना।खेतों में खड़ी फसल को बैल नुकसान नही पहुंचाए व सीधी लाईन में चाल बनी रहे। उसके लिए किसान बैलों के मुंह पर खरणीया या खीपड़ा का पौधा बांध देते है, जिससे बैल सही दिशा में सही समय पर चलता रहता है। वह किसान के दिए गए निर्देशों की पालना करता है। यह तरीका परम्परागत रूप से कई वर्षों से क्षेत्र में प्रचलित है।

क्या है तरीके : किसान फसलों में खरपतवार की रोकथाम को लेकर कई तरीके अपनाते है। जिसमें मुख्यत: हाथ से निराई गुड़ाई है। इस तरीके के तहत बुवाई के 15 से ४५ दिनों के मध्य खुरपी से खरपतवार को निकाला जाता है। बैलों द्वारा गहरी जुताई करने से भी खरपतवार पर रोकथाम लगती है। हाथ से चलने वाले गुड़ाई यंत्र से भी खरपतवार को काफी सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा रसायनों के प्रयोग से भी खरपतवार को समाप्त किया जा सकता है।

इनका कहना

खरपतवार की रोकथाम में परम्परागत तरीके किसानों के लिए अभी भी लाभदायी है। थोड़ी मेहनत की जरूरत पड़ती है, परंतु परिणाम किसान के पक्ष में रहता है।

- गोदाराम देवासी, किसान एवं सरपंच, रानीवाड़ा

खरपतवार की रोकथाम को लेकर किसानों को समय-समय पर विभाग द्वारा जानकारी दी जाती है। इस बार भी किसानों को पर्याप्त मात्रा में खरपतवार की रोकथाम को लेकर रसायनिक दवाओं की जानकारी दे दी गई है। 

-कन्हैयालाल विश्रोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा

हाड़ेचा. कस्बे सहित आस-पास के इलाकों में इस बार अच्छी बारिश के बाद किसानों ने बंपर बुवाई की है। खरीफ की अच्छी फसल होने के कारण किसानों ने अपनी अलग-अलग तकनीकों द्वारा खेतो में खरपतवार शुरू कर दी है। इसको लेकर किसान अपने खेतो में बैल, ऊंट एवं टै्रक्टरों से बाजरे की फसल में खरपतवार करने में जुट गए हैं।

नुकसान

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार खरपतवार से 25 से 70 प्रतिशत तक उत्पादन घट सकता है। इनके द्वारा भूमि की उर्वरा शक्ति को प्रभावित किया जाता है। भूमि में उर्वरक, नाईट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटाश की मात्रा घटने से फसलें प्रभावित होती हैं। इन दिनों खेतों में निराई गुडाई का काम भी जोरो पर हंै। किसान द्वारा सही समय पर खरपतवार नही निकालने पर काफी नुकसान होने की संभावना होती है।

नजर आने लगे कपड़े के थैले

रानीवाड़ा 
प्रदेश में पॉलीथिन कैरी बैग पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब कई उपभोक्ताओं ने कपड़े के थैले लेकर बाजार जाना शुरू कर दिया है। रानीवाड़ा क्षेत्र की दुकानों पर कागज की थैलियां भी मिलनी शुरू हो गई है। कुछ कपड़ों के व्यापारियों ने भी अपनी ओर से बनवाए गए थैले देना शुरू किया है।इनके अलावा कस्बे के कई व्यवसायियों ने गत्ते, मोटे कागज व अन्य सस्ते थैलों के लिए आर्डर किया हुआ है। प्रशासन का कहना है कि उपभोक्ता व व्यवसायी सेल्युलोज से निर्मित थैले, कागज के थैले, केनवास बैग, जुट बैग अथवा कॉयर मेटेरियल से बने थैले व कपड़े के थैलों आदि को कैरी बैग के विकल्प के रूप में उपयोग में ले सकते हंै।

हो रहा इस्तेमाल : एक अगस्त से पॉलीथिन कैरी बैग पर सख्ती के प्रतिबंध लगाए जाने से अधिकांश व्यवसायियों के पास पूर्व से खरीदे हुए पॉलीथिन कैरी बैग रखे हुए है। ऐसे कुछ दुकानदारों का कहना है कि जितने कैरी बैग रखे हुए है उनको तो निकालेंगे ही सही। वही आज भी कई जगहों पर प्लास्टिक कैरी बैग का धडल्लें से इस्तेमाल होता दिखाई दे रहा है।

ग्रामसेवकों के समर्थन में आए सरपंच

रानीवाड़ा. 
पंचायत समिति के तहत समस्त ग्रामसेवकों के सामूहिक उपार्जित अवकाश पर चले जाने व नरेगा कार्यों का बहिष्कार करने के निर्णय में सरपंच संघ ने भी सहमति जताई है। राजस्थान सरपंच संघ उपशाखा रानीवाड़ा के अध्यक्ष गणेशाराम देवासी ने बताया कि ग्रामसेवकों की मांगों को जब तक राज्य सरकार नहीं मान लेती तब तक सरपंच भी उनके साथ पंचायतीराज कार्यों का बहिष्कार करेंगे। उपाध्यक्ष बलवंत पुरोहित व झमका कंवर ने भी सरकार की हठधर्मिता की आलोचना कर अतिशीघ्र ग्रामसेवकों की मांगों को मानने की बात कही है। उन्होंने बताया कि विभिन्न मांगों को लेकर 25 अगस्त से पंचायत समिति कार्यालय के सामने धरना शुरू किया जाएगा। इधर, पंचायत समिति क्षेत्र की समस्त ग्राम पंचायतों के ग्राम सेवकों के सामूहिक उपार्जित अवकाश पर चले जाने से पंचायतों में सभी कार्य ठप हो गए है। लोगों को रोजाना के कार्य करवाने में असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। अब सरपंचों ने भी ग्रामसेवकों की मांगों में सहमति जता देने से समस्याएं बढ़ती जा रही है।