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Friday 26 November 2010

कहीं खुशी तो कहीं कहर बनी मावठ

रानीवाड़ा
बे मौसम हुई बारिश ने क्षेत्र के किसानों में कहीं खुशी तो कहीं गम वाली स्थिति बना दी है। पकी हुई फसल को तैयार करने में जुटे किसान अब बारिश से हुए नुकसान पर आंसू बहा रहे हैं, तो जिन्हें सिंचाई को पानी चाहिए था वह खुश दिखाई पड़ रहे हंै। खेतों में खड़ी फसल आड़ी पड़ गई। पाटली कर बुवाई कर चुके किसानों का बीज पानी भरने से खेतों में ही दफन हो गया। सर्वाधिक खराबा बडग़ांव व रानीवाड़ा क्षेत्र में आंका जा रहा है। इन जगहों पर कई खेतों में धान की फसल कटकर रखी हुई थी। जो पानी भरने के बाद अब गलनेे लगी है। कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है शेष & पेज १३

कि जिन जगहों पर फसल कटकर रखी हुई थी उनके गलनेे की आशंका पैदा हुई है। शेष जगहों पर किसानों को बारिश से लाभ हुआ है।

प्रशासन कराए सर्वे

पूर्व सरपंच मैदाराम चौधरी ने फसलों में हुए खराबे का सर्वे कराने की मांग की है। कलक्टर को भेजे पत्र में बताया कि बरसात से क्षेत्र के कई किसान बर्बाद हो गए। खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो गई तो बुवाई कर डाला बीज जमीन में ही दफन हो गया। पत्र में बारिश से हुए नुकसान का आकलन करा किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग की गई है। बडग़ांव गांव के किसान प्रताप मेघवाल ने बताया कि टमाटर, आलू, बैगन की फसल को भी तेज बारिश ने नष्ट कर दिया।

तारामीरा की बुवाई शुरू

तीन दिन पूर्व हुई मावठ की बारिश के बाद क्षेत्र में किसानों ने तारामीरा की बुवाई शुरू कर दी है। मावठ के बाद से किसान सुरक्षित फसल के रूप में तारामीरा फसल की बुवाई को ही बेहतर मान रहे हंै। क्षेत्र के करड़ा व खारा बेल्ट के गांवों में तारामीरा की बुवाई जोरों पर है। किसान आसूराम खींचड़ के अनुसार तारामीरा की फसल कम कीमत व कम पानी में तैयार होने के कारण किसानों में इसको लेकर खास रूचि है। करवाड़ा, दांतवाड़ा, कोड़का, कोटड़ा सहित कई एक फसली वाले क्षेत्र में इस पैदावार की ओर किसान आकर्षित हो रहे हंै।

मौसमी बीमारी से गायों की मौत

रानीवाड़ा
उपखंड क्षेत्र में मावठ से जन-जीवन प्रभावित हो रहा है, वहीं कई गांवों में पशुधन में बीमारी फैलने की आशंका है। जानकारी के अनुसार कस्बे में पिछले चार दिनों में आधा दर्जन गोवंश की मौत हो चुकी है। जिसकी पीछे मुख्य कारण मौसम में आए बदलाव को बताया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक तहसील क्षेत्र में मावठ के बाद गोवंश पर इसका व्यापक असर पड़ा है। गांवों में आवारा घूम रहे गोवंश की सर्दी व मावठ से मौत हो रही है। 

गोधाम पथमेड़ा के महाप्रबंधक गोविंद वल्लभ ब्रह्मचारी ने बताया कि गोधाम द्वारा संचालित दर्जनों गोशालाओं में चारे का संकट है। अधिकतर चारा मावठ की बरसात से नष्ट हो जाने से यह समस्या हो रही है, दूसरी ओर गोवंश के लिए छाया व बरसात से बचाव के उपाय नहीं होने से उनमें बीमारी फैल रही है। चिकित्सा विभाग भी इन गोवंश के उपचार में लाचार नजर आ रहा है। विभाग के पास पर्याप्त चिकित्सक नहीं होने से गोधाम पथमेड़ा को गुजरात से पशु चिकित्सक बुलाने पड़ रहे हंै। इसी तरह रानीवाड़ा तहसील के कागमाला, मालवाड़ा, आजोदर, धानोल व निकटवर्ती सिरोही जिले की नंदगांव गोशाला में आवारा गोवंशों की आवक भारी तादाद में शुरू हो गई है। यही नहीं चारे की कमी से जूझ रहे ग्रामीण अपने गोवंश को गोशालाओं ला रहे है, ताकि आवारा गोवंश को बचाया जा सके। मनोरमा गोतीर्थ नंदगांव के प्रबंधक सुमनसुलभ ब्रह्मचारी ने बताया कि सप्ताहभर से हजारों की तादाद में गायों को गोशाला में लाया जा चुका है, ताकि मावठ की बरसात से हुए मौसम के परिवर्तन से संभावित बीमारियों से गोवंश को बचाया जा सके। 



-बेमौसम बारिश से चारे का संकट खड़ा हो गया है। सरकारी मदद के अभाव में गोवंश को बचाना मुश्किल भरा कार्य है। फिर भी गोभक्तों की मदद से गोवंश को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार को भी गोधन को बचाने के लिए सकारात्मक पहल करनी चाहिए।

- स्वामी दत्तशरणानंद, संस्थापक गोधाम पथमेड़ा

-गोवंश को चारा उपलब्ध करवाने को लेकर अभी तक सरकार के निर्देश नहीं मिले हैं। गोशालाओं की ओर से चारे की समस्या के बारे में कोई सूचना मिलने पर सरकार को सूचना भिजवाई जाएगी।

-कैलाशचंद्र शर्मा, उपखंड अधिकारी, रानीवाड़ा