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Tuesday, 28 September 2010

पर्यटन की बहार, संरक्षण की दरकार

रानीवाड़ा
उपखंड़ क्षेत्र में पुरा महत्त्व की ऐतिहासिक धरोहरों की बहार है। प्रकृति का सुरम्य वातावरण अरावली पर्वतमालाओं से लेकर धरा पर बिखरा पड़ा है। पर्यटन की दृष्टि इन्हें विकसित किए जाए तो ट्यूरिज्म को बढ़ावा मिल सकता है। इससे आर्थिक रूप से पिछड़ापन भी दूर होगा। साथ ही रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। 

उपखंड मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर सुंधांचल पर्वत पर सुंधामाता तीर्थ, प्रस्तावित अभ्यारण और इससे आगे जसवंतपुरा क्षेत्र में प्रकृति ने अनूठे नजारे बनाए हुए हंै। पहाड़ों के बीच जगह-जगह बहते झरने, चारो ओर छाई हरितिमा लोगों का यहां बरबस ही आकर्षिक करती है। इन स्थानों पर दूरदराज क्षेत्रों से पर्यटक भी पहुंचे हंै, लेकिन प्रकृति की इस अनमोल धरोहरों के संरक्षण और उन्हें विकसित करने के प्रयास नहीं हो रहे हैं। 

यही वजह है कि अरावली पर्वतमाला के लोहियाणा गढ़ व सुंधामाता तीर्थ टयूरिज्म मानचित्र पर अपनी जगह नही बना पाए हंै। जाविया के ६ माह तक झर-झर बहते झरने अभी तक अपनी पहचान नहीं बना सके हैं। सेवाड़ा में १२ सौ साल पुराना पातालेश्वर शिव मंदिर, रतनपुर के खंडहरनुमा जैन मंदिर, गोधाम पथमेड़ा, सिलेश्वर मंदिर, सौमेरी माताजी मंदिर, वाडोल की घाटी, बारहमासी बहने सुकळ नदी आदि स्थान लोगों को खूब भाते हंै।

गोड़वाड़ सर्किट में होगा शामिल

उपखंड सहित समूचे जिले में पर्यटन की विपुल संभावनाओ को देखते हुए विधायक रतन देवासी ने पर्यटनमंत्री बीना काक को पत्र लिखकर जिले को गोड़वाड़ ट्यूरिस्ट सर्किट में जोडऩे की मांग की है। मंत्री ने भी विधायक के इस निवेदन पर सकारात्मक प्रतिक्रिया जाहिर कर सर्वें के निर्देश दिए हैं। गोड़वाड़ सर्किट में जुडने से जिले में विदेशी पर्यटकों के साथ घरेलू पर्यटक भी जिले की ओर आकर्षित होंगे।

हेरिटेज होटल्स की है संभावना

क्षेत्र में रियासतकालीन रजवाड़े व ठिकानों में बनी पुरातत्व की अनके वस्तुएं भी लोगों को आकर्षित कर सकती हैं। अभी भी कई लोग इन्हें देखने आते हैं। बडग़ांव गढ़, मालवाड़ा रावला, चाटवाड़ा, सांचौर में सूराचंद, चितलवाना, कोरी, पूरण, दांतलावास, गजापुरा, डोरड़ा सहित कई गांवों में स्थित प्राचीन गढ़ पर्यटकों की तादाद बढने पर हेरिटेज होटल में तब्दिल हो सकते हैं।

भालू अभ्यारण्य से होगा फायदा

राज्य सरकार द्वारा सुंधापर्वत माला में प्रस्तावित भालू अभ्यारण से भी वन्यजीव प्रेमियों का रूझान इस क्षेत्र की ओर बढ़ेगा। राज्य में भालू जैसी दुर्लभ प्रजाति के सरंक्षण व संर्वधन को लेकर यह सरकार का प्रथम प्रयास है। वन्य जीव प्रेमियों में काफी तादाद विदेशी पर्यटकों की होने की संभावना को देखते हुए राजस्व का भी सरकार का फायदा होगा। इसी प्रकार कच्छ के रण से लगता हुआ जिले का नेहड़ क्षेत्र भौगोलिक स्थितियों में जिले के लिए अनूठा क्षेत्र है। एक तरफ पाकिस्तान सीमा तथा दूसरी ओर कच्छ का रण इस क्षेत्र को अन्य क्षेत्र से विशेष दर्जा देते हैं। जंगली वन्यजीव की भरमार व लेण्ड ऑफ पिकोक यानी मोर की ज्यादा तादाद होने से यह क्षेत्र पर्यटकों के लिए पंसदीदा पर्यटक स्थल बन सकता है।

जिले को सर्किट से जोडऩे की संभावना है

- पर्यटन मंत्री बीना काक से व्यक्तिगत अनुरोध कर जिले को गोड़वाड़ सर्किट में जोडऩे का निवेदन किया है। अतिशीघ्र सर्वे पूरा होने के बाद जिले को सर्किट में जोडऩे की संभावना है।

- रतन देवासी, विधायक रानीवाड़ा

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