रानीवाड़ा
निकटवर्ती धामसीन गांव में सरकारी स्कूल के नाम को लेकर १२ वर्ष से चल रहे विवाद का गुरुवार को समापन हो गया। इस स्कूल के नाम पर एक पक्ष को आपत्ति थी। जिसके बाद कई सालों से यह मामला न्यायालय में चल रहा था। लोक अदालत में न्यायाधीश की पहल पर यह मामला सुलझा लिया गया। जिसके बाद अब इस विद्यालय का नाम राजकीय माध्यमिक विद्यालय धामसीन होगा।
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार धामसीन के समाजसेवी रणजीतसिंह देवड़ा ने प्रारम्भिक शिक्षा विभाग से अनुमति लेकर विद्यालय का नाम सरदारसिंह समरथसिंह चेरीटेबल ट्रस्ट राजकीय माध्यमिक विद्यालय करने की शर्त पर वर्ष-१९९८ में इसका पुनरोद्धार करवाया था। इस कार्य पर दानदाता परिवार ने इस विद्यालय पर ३१ हजार खर्च किए एवं विद्यालय का नाम बदलकर सरदारसिंह समरथसिंह चेरीटेबल ट्रस्ट राजकीय माध्यमिक विद्यालय अंकित कर दिया। बाद में धामसीन निवासी जयसिंह हुकमसिंह, शैतानसिंह जीवसिंह, बाबू भावाजी व लखमा धुड़ाजी सहित कई जनों ने इसके विरूद्ध पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया। जिसके बाद यह मामला मुंसिफ कोर्ट रानीवाड़ा में चला गया। उस समय गांव में तनाव का माहौल पैदा हो गया था। प्रतिक्रिया स्वरूप कई हमले व मारपीट के मामले भी दर्ज हुए। इस बीच दानदाता परिवार की ओर से भी मुंसिफ कोर्ट रानीवाड़ा में मामला दर्ज करवाया गया। जहां इस परिवार के पक्ष में निर्णय हुआ। इस निर्णय के विरूद्ध २००१ में भीनमाल के एसीजेएम कोर्ट में अपील की गई। कुछ दिन पूर्व भीनमाल के एसीजेएम केसी. मीणा ने पहल कर इस मामले में धामसीन गांव में ग्रामीणों को इक_ा कर मामले को सुलझाने का प्रयास किया। जिसके बाद दोनों पक्षों में सशर्त राजीनामा कराया गया। जिसके तहत दानदाता रणजीतसिंह देवड़ा ने ट्रस्ट का नाम हटाने पर सहमति दे दी। इसके बाद विद्यालय का नाम राजकीय माध्यमिक विद्यालय धामसीन मान लिया गया। वहीं वादीपक्ष जयसिंह देवड़ा वगैराह ने उस वक्त विद्यालय पर खर्च राशि ३१ हजार दानदाता परिवार को लौटाने की सहमति दी। हालांकि रणजीतसिंह ने इस राशि को स्वीकार कर उसमें ११ सौ रुपए जोड़कर कुल ३२ हजार एक सौ रुपए विद्यालय की एसडीएमसी में जमा करवा दिए।
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