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Friday, 15 April 2011

विविधताओं से भरा पशु मेला सेवाडिया, दूसरे दिन बाजार हुआ गरम


रानीवाड़ा।
कस्बे के श्री आपेश्वर महादेव मंदिर सेवाडिया में शुरू हुए पशु मेले में शुक्रवार सायं तक ग्यारह हजार से अधिक पशु बिक्री के लिए पहुंचे है तथा उनके आने का सिलसिला जारी है। आज शुक्रवार को इस मेले का विधायक रतन देवासी ने जायजा लेकर पशुपालकों की समस्याएं सुनी एवं उनका समाधान कराने को लेकर मेला ठेकेदार के कर्मचारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। पंचायत समिति द्वारा भराए जाने वाले इस पशु मेले का विधिवत शुभारंभ गुरूवार से हुआ। यह मेला २० तारीख तक चलेगा। मेले को इस बार पंचायत समिति ने ठेकेदार को 5.८५ लाख रुपए में ठेके पर दिया है। मेले में अब तक मिट्टी, लौहे व स्टील के बर्तन, कृषि यंत्रों, कपड़ों, गलीछों, खाने-पीने, खिलौना व घरेलू उपयोग में आने-वाले व पशु श्रंगार सामगी सहित कई प्रकार के सामान की दुकानें भी लगी है।
मेले में विविधता का रंग:- कार्तिक ग्यारस के अवसर पर सेवाडिया में लगने वाला यह मेला, देश में आयोजित होने वाले पशु मेलों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रदेश में विभिन्न अवसरों पर लगने वाले मेले, आध्यात्मिक संतुष्टि तो देते ही हैं, मनोरंजन के क्षण भी प्रस्तुत करते हैं, और इस पशु मेले में विविधता का रंग देखने को मिलता है। मेले में माल ढोने एवं खेती के लिए काम में आने वाले पशुओं, जैसे ऊंट, बैंल, दुधारू पशु तथा सवारी के काम आने वाले पशुओं का क्रय-विक्रय यहां का मुख्य आकर्षण है। ऊंटों को आकर्षक वेशभूषा में, बोली लगा कर बेचने का नजारा देखने को मिलता है। दुधारू पशुओं के गुणों एवं दूध देने की क्षमता का मूल्यांकन खरीदार ठोक बजा कर करते हैं। सेवाडिया के ओरण के पास रेतीले मैदान में हजारों पशुओं का अपने-अपने बाड़े में बंधे देखने का दृश्य तथा उन का शोर मेले के उत्साह को दुगना कर देता है। मेले में आये यात्रियों के ठहरने के लिए टैंट्स की अस्थायी नगरी बस जाती है।
मेला मनोरंजन से भरपूर:- मेले के दौरान हस्तशिल्प कला की वस्तुओं की दुकानों तथा खाने-पीने के स्टॉल्स पर महिलाओं एवं बच्चों की भीड़ का नजारा अद्भुत होता है। दूर-दराज क्षेत्रों से आई महिलाएं अपनी घर-गृहस्थी की उपयोग की वस्तुएं खरीदने का यह अवसर चूकती नहीं। मनोरंजन के भिन्न-भिन्न खेल-तमाशे भी खास आकर्षण होते हैं, जो दिन भर चलते हैं। विभागीय तौर पर भले ही इस मेले को पशु मेला कहा जाता है लेकिन वस्तुत: यह इस अंचल का एक प्रमुख धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं व्यापारिक मेला है, जिसमें राजस्थान सहित अन्य कई प्रांतों के पशुओं के व्यापारी एवं दुकानदार यहां आते है। तीन वर्ष से कम उम्र के बछडों को राज्य से बाहर ले जाने की स्वीकृति नहीं दी जाती है। मेले में प्रकाश, पेयजल, चिकित्सा, स्वच्छता एवं सुरक्षा की माकूल व्यवस्थाऐं की जाती है। पशुओं तथा ग्रामीणजनों की विविध प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है।  
बिक्री जोरों पर, सजे बाजार:- इस मेले में सभी प्रकार की दुकाने लगती हैं, जिनके अलग-अलग मार्केट होते है। दुकानदार बताते हैं कि उनकी दुकानों पर न केवल निर्धन और मध्यम स्तर के लोग आते है बल्कि धनाढय वर्ग, बडे-बडे अधिकारी और उनके परिवारजन भी सिले सिलाये वस्त्र, कई प्रकार के परिधान खरीद कर ले जाते हैं। घर परिवार में काम आने वाले आइटमों में ऊनी रजाईयां, परदे, तकिये, बेडशीट, कम्बल आदि की भी इस मेले में खूब बिक्री होती है।
बहुरंगी सांस्कृतिक कार्यक्रम:- इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को पंचायत समिति के सौजन्य से बहुरंगी सांस्कृतिक कार्यक्रम व साफा प्रतियोगिता का आयोजित होंगे। राजस्थानी सांस्कृतिक संध्या में राजस्थान के विविध अंचलों से आए लोक कलाकार अपनी प्रस्तुतियां दगे। शाम अनूठी सांस्कृतिक संध्या के रूप में सजेगी। इसमें राजस्थान व गुजरात के ख्यातनाम लोक कलाकार अपनी 'दी बेस्ट' प्रस्तुतियां देंगे। 'बेस्ट ऑफ सुणतर' के नाम से आयोजित यह बहुरंगी सांस्कृतिक संध्या सेवाडिया मेले के लिए यादगार शाम होगी।

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