रानीवाड़ा।
उपखंड़ के जंगली क्षेत्रों में मैसेनरी पत्थरों का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है। जिला स्तर पर गठित टास्कफोर्स इस पर अंकुश लगाने में नाकाफी साबित हो रहा है। क्षेत्र के करवाड़ा, दांतवाड़ा, चाटवाड़ा, पाल, करड़ा व सांतरू में व्यापक पैमाने पर पत्थरों का अवैध उत्खनन प्रतिदिन हो रहा है। पत्थर माफिया प्रतिदिन हजारों रुपये की उगाही अवैध रूप से कर रहे है। समस्या को लेकर आज लीजधारकों एवं रायल्टी व सेलटैक्स के ठेकेदारों ने अवैध खनन को रोकने को लेकर जिला कलक्टर व एसडीएम को ज्ञापन दिए है।
लीजधारक हुए बेरोजगार:- प्रतिदिन 50 से 60 शक्तिमान ट्रक व इतने ही टै्रक्टर अवैध पत्थरों का परिवहन एवं बिक्री किया जाता है। दूसरी ओर जो सही लीजधारी है उनके व्यवसाय पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है। सरकारी राजस्व को काफी नुकसान पहुंच रहा है। साथ ही जंगल को भी काफी क्षति पहुंचायी जा रही है। रायल्टी व सेलटैक्स का ठेका भी इस वर्ष एक करोड़ पांच लाख में उठा है। ऐसी स्थिति में इतनी राशि को वसूलना ठेकेदारों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। अवैध खननकर्ता से ठेकेदार नियमानुसार कर वसूल नही कर सकता है। ऐसी बाध्यताएं उनके लिए मुसिबत बनती जा रही है।
नही रूक रहा अवैध खनन:- रायल्टी हो या हो ऊपरी कमाई का मामला, खनिज विभाग का कोई सानी नहीं। दबंगों द्वारा अवैध खनन लगातार जारी है। शिकायतें हुईं पर कार्रवाई आज तक नहीं हुई। उधर खनिज अधिकारी इसे वैध करार देते हुए कोई शिकायत न आने का दम्भ भर हरे है। अव्वल तो ये कि इन माफियाओं का सूचनातंत्र काफी मजबूत है। जब भी कभी वन प्रशासन द्वारा छापामारी की योजना बनती है तो सूचना लीक हो जाती है और छापामारी से पहले माफियाओं तक खबर पहुंच जाती है। सो, जेसीबी, ट्रक एवं उत्खनन से संबंधित अन्य उपकरण माफियाओं द्वारा हटा लिये जाते है। छापामारी में वन प्रशासन को कुछ भी हाथ नहीं लगता। इन दिनों वन विभाग स्टॉफ की कमी से भी परेशान है।
हरियाली हुई गायब:- अतीत में इस ऐतिहासिक क्षेत्र में 6 हजार तालाबों और नदियों के कारण हरियाली से भरपूर रहने वाला यह क्षेत्र अब उजाड़ क्षेत्र बनने को मजबूर है। रानीवाड़ा खुर्द अपने गर्भ में बेशकीमती पत्थरों- ग्रेनाइट छुपाये हुए है। इन बहुमूल्य कीमती पत्थरों की विश्व व्यापार मंडी में अलग पहचान है। ग्रेनाइट पत्थर की एक-एक शिलाखण्ड को एक लाख रुपये तक में खरीदने के लिए व्यापारियों में होड़ लगी रहती है। ग्रेनाइट तक निकालने के लिए पूरे गारवाया पहाड़ में विशाल गड्ढे उभर आये है। वन भूमि से हरे वृक्ष काट कर राजस्व रिकार्ड में हेरफेर करने का सिलसिला चल रहा है। इससे जहां एक ओर वन समाप्त हो रहे है, वही जंगली जानवरों के लिए भी खतरा पैदा हो गया है।
टैक्स की दर:- ठेकदार भवंरसिंह शेखावत ने बताया कि नियमानुसार सरकारी दर के अनुसार एक ट्रैक्टर पत्थर के परिवहन पर ६० रूपए रायल्टी, ३४ रूपए सेलटैक्स, बजरी ढुलाई करने पर ७० रायल्टी व ३० रूपए सेलटैक्स के वसूले जाते है। इसी तरह हॉफ बॉडी ट्रक से १५० रूपए रायल्टी व ६८ रूपए सेलटैक्स की दर है।
बहरहाल, वन विभाग में अधिकतर पद रिक्त रहने के कारण पत्थर के अवैध खनन पर अंकुश लगाने और सरकारी राजस्व के हो रहे दोहन रोकने में वन विभाग ने अपने हाथ खड़े कर दिये है। क्षेत्र में प्राकृतिक सम्पदा भरी पड़ी हुयी है। जमीन के ऊपर पहाड़ की श्रृंखला है तो पहाड़ पर भरपूर वन संपदा है। पत्थर के अवैध खनन होने सरकारी राजस्व का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं हो पाया है।
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