जालोर।
बाग बिक जाते हैं जरदार के हाथों
फूलों की खुश्बू से रस्ते तो महक जाते हैं।
तुम्हें हीरे की सिफात है तो अंधेरे में मिलो
उजाले में तो कांच के टुकडे भी चमक जाते हैं।
रेत के खिलौनों से खेलकर व सरकारी स्कूलों में मिट्टी की स्लेट पर पढ़ने वाले ठेठ ग्रामीण परिवेश में पले-बढ़े गांव के युवाओं ने इन पंक्तियों को चरितार्थ कर इतिहास रचा है। हल थामने वाले इन भçूमपुत्रों के मजबूत इरादों के सामने अब आसमान भी छोटा पड़ने लगा है। अभावों से अपनी मंजिल तय करने वाले युवाओं ने ऊंची उड़ान भर यह जता दिया है कि सफलता परिस्थितियों की मोहताज नहींं होती है।
पिछले तीन सालों में जालोर के छह युवाओं का भारतीय प्रशासनिक सेवा में चयन हुआ है, जबकि इन सालों में 10 प्रतियोगी साक्षात्कार तक पहुंचे हैं। इससे पहले की स्थिति पर गौर करें तो आजादी के बाद से 2007 से पहले तक जालोर जिले के महज चार युवा भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का गौरव हासिल कर सके हैं। शिक्षा की दृष्टि से अति पिछड़े जालोर के लिए यह उपलब्घि कहीं ज्यादा मायने रखती है। ग्रामीण परिवेश से भारतीय प्रशासनिक सेवा तक का सफर तय करने की यह शुरूआत अच्छा संकेत है।
आरएएस बने आईएएस
दो आरएएस अफसरों को जालोर में पदस्थापन के दौरान भारतीय प्रशासनिक सेवा में जाने का मौका मिला। वर्ष 2007 में जालोर में आरएएस प्रशिक्षु बलवंतसिंह कालेवा का 37 वीं रेंक पर चयन हुआ। वर्तमान में वे उड़ीसा कैडर के आईएएस है। सांचौर में बतौर उपखंड अघिकारी पदस्थापित भैराराम चौधरी का भी वर्ष 2008 में आईआरएस में चयन हुआ।
आरएएस अफसरों की भरमार
पिछले कुछ सालों में जालोर जिले से आरएएस में चयनित युवाओं की संख्या तो और भी तेजी से बढ़ी है। तीन सालों में जालोर जिले के करीब तीन दर्जन से अघिक युवा आरएएस अफसन बने हैं। इनमें ग्रामीण तबके के युवाओं की संख्या नब्बे फीसदी है।
टॉप किया आईआईटी
सायला पंचायत समिति के भूंडवा निवासी डूंगाराम चौधरी ने वष्ाü 2002 में आईआईटी में देशभर में टॉप किया था। सामान्य परिवार में जन्मे चौधरी ने गांव में रह कर ही अध्ययन किया। चौधरी के टॉप करने से जालोर जिला गौरवांतित हुआ।
पूर्व में चयनित
इनसे पहले जिले में हरजी गांव के अभिमन्यूसिंह (आईएएस), सियाणा के सुशील सोलंकी (आईआरएस), तवाव के ओमप्रकाश कांत (आईआरएस) और रामसीन के गंगासिंह परमार(गुजरात राज्य सेवा से पदोन्नत) आईएएस ने इस परीक्षा में सफल होकर जिले का मान बढ़ाया था।
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