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Sunday, 7 February 2010

अब महकेगी केसर क्यारी


गुमानसिंह राव. रानीवाड़ा

जलवायु और मौसम ने साथ दिया तो रानीवाड़ा क्षेत्र अब केसर की महक से महकेगा। एक प्रयोग के तहत उपखंड मुख्यालय से सिर्फ 20 किलोमीटर की दूरी पर प्रायोगिक तौर पर केसर की खेती की गई है। जिसके सफल होने की काफी संभावना है।

गांव में बसंत ऋ तु के आते ही खुशबूदार और कीमती जड़ी-बूटी 'केसरÓ की बहार आ रही है। वर्ष के अधिकतर समय ये खेत अन्य फसलों से लहलहातेे थे, लेकिन फरवरी के अंत तक ये खेत बैंगनी रंग के फूलों से सजने लग जाऐंगे। धानोल के केवाराम चौधरी व जाखड़ी के वनैसिंह देवड़ा ने धानोल में यह प्रयोग किया है। इन किसानों ने बताया कि गत वर्ष भी उन्होंने माउंट आबु के ब्रह्माकुमारी संस्थान से केसर के बीज लाकर लघु प्रयोग कर केसर की पैदावार तैयार की थी। इस बार कुछ ज्यादा मात्रा में केसर की क्यारिया तैयार की है। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग का सहयोग नही मिलने के कारण इस कीमती फसल को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। अनुकूल जलवायु के चलते इस फसल का प्रयोग काफी हद तक सफल रहा है। बकौल, केवाराम उन्होंने गत वर्ष तैयार केसर को शादी के समय दूध के साथ मिलाकर मेहमानों को सेवन कराया था। सुणतर के केसर का स्वाद भी स्वादिष्ट होने के कारण इस फसल के परिणाम भविष्य के लिए सकारात्मक आने की उम्मीद है।

इनका कहना

केसर का खेती करने वाले ने बताया कि गत वर्ष केसर कम तैयार हुआ था परंतु, फिर भी उम्मीद है कि इस बार बीते साल से उत्पादन ज्यादा होगा और दाम भी अच्छे मिलेंगे।

-केवाराम चौधरी, किसान, धानोल

इस प्रयोग के सफल होने पर विभाग इस खेती की ओर ध्यान देगा। अभी तो देख रहे है। वैसे जिले के कृषि अधिकारियों के लिए नया प्रयोग है। पौधे की ऊंचाई डेढ़ फीट है, फू ल आने पर ही मालूम पड़ेगा।

-कन्हैयालाल विश्नोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा

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