रानीवाड़ा
सुणतर क्षेत्र के एक युवा किसान ने दो हैक्टेयर जमीन में विदेशी पपीते का नव प्रयोग कर बीस लाख रुपए की आय की है। क्षेत्र के किसानों के लिए यह अच्छा संकेत है।
जानकारी के अनुसार रमेशकुमार चौधरी वैसे तो सरकारी शारीरिक शिक्षक हंै, लेकिन खेती में नए प्रयोग करते रहते हैं। इस युवक ने सुकल नदी के किनारे भाटवास गांव में एक कृषि कुंए पर दो हैक्टयर भूमि में ताईवानी पपीते लगाने का प्रयोग किया। गत वर्ष मई महीने में रमेशकुमार ने पांच हजार पौधे तैयार किए। इस वर्ष उन पौधों पर पपीते की पैदावार से उसने बीस लाख रुपए की आमदनी कर ली है। चौधरी ने बताया कि उनके इस प्रयोग में कृषि विभाग के अधिकारी कन्हैयालाल विश्नोई ने पूरा सहयोग दिया। शेष & पेज १७
विभाग की बदौलत ही यह उपलब्धि हासिल हो पाई है।
उन्होंने बताया कि वे गत तीन माह से लगातार पपीतों को जयपुर, दिल्ली, जालंधर और जम्मू सहित देश के अन्य भागों में विभिन्न ऐजेंसियों के मार्फत बिक्री के लिए भेज रहे हैं। उत्तम गुणवत्ता व स्वाद से भरपूर ये पपीते इन शहरों में खूब खरीदे जा रहे हैं। इस एक पपीते में पांच से छह किलो तक का वजन होता है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम के चलते पपीते की पैदावार काफी प्रभावित हो रही है, परंतु नमी बरकरार रखने के लिए उन्होंने रैनगेज लगवाकर कृत्रिम बरसात करने का प्रयास किया है। इस फसल में उन्हें चार लाख रुपए लगाए हैं तथा अनुभवी किसानों के सहयोग से फसल लेने में सफलता प्राप्त की है। चौधरी के सफल प्रयोग के चलते सुणतर क्षेत्र के धानोल, धामसीन, रोड़ा, सूरजवाड़ा, जेतपुरा, बडग़ांव, अमरापुरा, भाटवास, अदेपुरा, आजोदर सहित कई गांवों के किसान कृषि विभाग से संपर्क कर रहे हैं। विशेषतया लघु सीमांत किसानों के लिए यह फसल वरदान साबित हो सकती है।
इनका कहना
चौधरी की मेहनत व अनुभव से ही यह मिशन सफल हो पाया है। किसानों को इसका लाभ मिलेगा जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे।
- कन्हैयालाल विश्नोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा
सुणतर क्षेत्र के एक युवा किसान ने दो हैक्टेयर जमीन में विदेशी पपीते का नव प्रयोग कर बीस लाख रुपए की आय की है। क्षेत्र के किसानों के लिए यह अच्छा संकेत है।
जानकारी के अनुसार रमेशकुमार चौधरी वैसे तो सरकारी शारीरिक शिक्षक हंै, लेकिन खेती में नए प्रयोग करते रहते हैं। इस युवक ने सुकल नदी के किनारे भाटवास गांव में एक कृषि कुंए पर दो हैक्टयर भूमि में ताईवानी पपीते लगाने का प्रयोग किया। गत वर्ष मई महीने में रमेशकुमार ने पांच हजार पौधे तैयार किए। इस वर्ष उन पौधों पर पपीते की पैदावार से उसने बीस लाख रुपए की आमदनी कर ली है। चौधरी ने बताया कि उनके इस प्रयोग में कृषि विभाग के अधिकारी कन्हैयालाल विश्नोई ने पूरा सहयोग दिया। शेष & पेज १७
विभाग की बदौलत ही यह उपलब्धि हासिल हो पाई है।
उन्होंने बताया कि वे गत तीन माह से लगातार पपीतों को जयपुर, दिल्ली, जालंधर और जम्मू सहित देश के अन्य भागों में विभिन्न ऐजेंसियों के मार्फत बिक्री के लिए भेज रहे हैं। उत्तम गुणवत्ता व स्वाद से भरपूर ये पपीते इन शहरों में खूब खरीदे जा रहे हैं। इस एक पपीते में पांच से छह किलो तक का वजन होता है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम के चलते पपीते की पैदावार काफी प्रभावित हो रही है, परंतु नमी बरकरार रखने के लिए उन्होंने रैनगेज लगवाकर कृत्रिम बरसात करने का प्रयास किया है। इस फसल में उन्हें चार लाख रुपए लगाए हैं तथा अनुभवी किसानों के सहयोग से फसल लेने में सफलता प्राप्त की है। चौधरी के सफल प्रयोग के चलते सुणतर क्षेत्र के धानोल, धामसीन, रोड़ा, सूरजवाड़ा, जेतपुरा, बडग़ांव, अमरापुरा, भाटवास, अदेपुरा, आजोदर सहित कई गांवों के किसान कृषि विभाग से संपर्क कर रहे हैं। विशेषतया लघु सीमांत किसानों के लिए यह फसल वरदान साबित हो सकती है।
इनका कहना
चौधरी की मेहनत व अनुभव से ही यह मिशन सफल हो पाया है। किसानों को इसका लाभ मिलेगा जिससे वे आर्थिक रूप से मजबूत हो सकेंगे।
- कन्हैयालाल विश्नोई, सहायक कृषि अधिकारी, रानीवाड़ा
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