रानीवाड़ा।
विधानसभा क्षेत्र के सेडिया गांव में ट्यूबवेल के बहाने गोचर भूमि हड़पने का मामला सामने आया है। तथाकथित दानदाता के विरूद्ध तहसीलदार ने अवैध अतिक्रमण करने का फैसला सुनाया है। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी एससी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अंबालाल चितारा ने बताया कि सेडिया गांव में गत वर्ष जनवरी माह में दानदाता केसाराम रामचंद्र विश्रोई ने सार्वजनिक ट्यूबवेल के लिए जिला कलेक्टर से परमीशन मांगी थी। कलेक्टर ने 15 जनवरी 2009 को सेडिया गांव के खसरा संख्या ४७२ में बोरवेल करने के आदेश सशर्त जारी किए थे। उक्त दानदाता के द्वारा शर्तों की पालना नही की गई है। चितारा ने बताया कि उक्त खसरा नम्बर में अवैध अतिक्रमण करने की शिकायत पर तहसीलदार सांचोर ने उक्त दानदाता को दोषी पाया। गत वर्ष 9, 26 व 30 नवम्बर को तहसीलदार ने कार्रवाई करते हुए अतिक्रमी के विरूद्ध नोटिस जारी किए। नोटिस का जवाब नही देने पर तहसीलदार ने 22 मार्च 2010 को दानदाता केसाराम रामचंद्र विश्रोई को खसरा नम्बर ४७२ में अवैध अतिक्रमण करने का दोषी पाया तथा जुर्माना लगाते हुए उक्त सरकारी भूमि में से बैदखल करने के आदेश दिए।
चितारा ने बताया कि 9 मई 2010 को करड़ा थानाधिकारी, तहसीलदार सांचोर व भू-अभिलेख निरीक्षक व पटवारी की टीम ने सेडिया गांव के खसरा नम्बर ४७२ में से उक्त अतिक्रमी का अतिक्रमण हटाया। जिसमें ग्राम वासियों ने सरकारी अमले को सहयोग प्रदान किया।
उन्होंने बताया कि जालोर मुख्यालय पर पानी की समस्या को लेकर दिए जाने वाले धरने के पीछे धरणार्थियों की मंशा सरकारी जमीन हडपने की है। उन्होंने जिला कलेक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों व शर्तों की पालना नही की है। इसके अलावा पीएचईडी ने भी उक्त बोरवेल को नियम विरूद्ध माना है। टीडीएस गुट में उक्त बोरवेल का पानी पीने योग्य नही माना गया है। वर्तमान में सेडिया गांव में सांकड़ जलप्रदाय योजना से जलापूर्ति सही समय पर व पर्याप्त मात्रा में करवाई जा रही है। जालोर मुख्यालय पर दिए जाने वाला धरना एक राजनीतिक नाटक जैसा प्रतित होता है।
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